बंगाल में मत्स्य पालन योजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी की जरूरत : केन्द्रीय मत्स्य मंत्री
केंद्रीय मत्स्य मंत्री


- राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड में पंजीकरण बढ़ाने और प्रोसेसिंग एवं निर्यात पर विशेष ध्यान देने की अपील : राजीव रंजन सिंह

कोलकाता, 02 अगस्त (हि.स.)। पश्चिम बंगाल को केंद्र सरकार की मत्स्य पालन योजनाओं का पूरा लाभ दिलाने के लिए राज्य को अपनी कार्य प्रणाली में तेजी लानी होगी। यह बात शनिवार को कोलकाता में आयोजित एक क्षेत्रीय समीक्षा बैठक के दौरान केन्द्रीय मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कही।

बैठक के दौरान केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि पश्चिम बंगाल में लगभग 32 लाख मत्स्य पालक हैं, लेकिन इनमें से बेहद कम संख्या में ही राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी) के तहत पंजीकृत हैं। इससे उन्हें प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (पीएम-एमकेएसएसवाई) जैसी केंद्रीय योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने राज्य सरकार से एनएफडीबी में अधिक से अधिक मत्स्य पालकों का पंजीकरण सुनिश्चित करने का आग्रह किया।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राज्य में इनलैंड फिशरीज यानी आंतरिक मत्स्य क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं, जिन्हें अभी तक पूरी तरह उपयोग में नहीं लाया गया है। उन्होंने पारंपरिक तालाबों के विकास, मछुआरों के लिए सहकारी ढांचों के निर्माण और एक मजबूत प्रोसेसिंग इकोसिस्टम तैयार करने पर बल दिया। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि राज्य में ड्राय फिश क्लस्टर विकसित करने की योजना पर काम हो रहा है, जिससे न केवल निर्यात बढ़ेगा, बल्कि स्थानीय रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

उन्हाेंने मत्स्य क्षेत्र में नई तकनीकों, प्रशिक्षण सुविधाओं और कृत्रिम रीफ जैसी पहलों को फिर से शुरू करने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा कि यह सब सतत विकास के लिए आवश्यक है। भारत इस समय दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मत्स्य उत्पादक देश बन चुका है और बीते वर्षों में मछली उत्पादन में 104 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। पिछले 10 वर्षों में इनलैंड फिश प्रोडक्शन में 142 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, लेकिन अब जरूरत है कि इनलैंड फिश का निर्यात में भी योगदान बढ़ाया जाए।

इस अवसर पर राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन और भारत सरकार के मत्स्य विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी भी उपस्थित रहे। उन्होंने योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए संस्थागत समर्थन, केंद्र-राज्य समन्वय और प्रभावी वितरण प्रणाली की आवश्यकता पर बल दिया।

कोलकाता के एक होटल में आयोजित इस क्षेत्रीय समीक्षा बैठक में पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ के लिए मत्स्य क्षेत्र की प्रमुख योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की गई। इसमें भारत सरकार के मत्स्य विभाग और संबंधित राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा प्रस्तुतिकरण और जानकारी दी गई। बैठक का मुख्य उद्देश्य प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई), मत्स्य और जलीय कृषि आधारभूत संरचना विकास निधि (एफआईडीएफ), किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) और पीएम-एमकेएसएसवाई जैसी योजनाओं के जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन की समीक्षा करना और भविष्य के लिए बेहतर परिणामों का रोडमैप तैयार करना था।--------------------------

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर