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पलामू, 31 जुलाई (हि.स.)। झारखंड के राज्यपाल सह राज्य के कुलाधिपति संतोष कुमार गंगवार की कार्रवाई के बाद नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डाॅ दिनेश कुमार सिंह ने गुरूवार को अपनी सफाई दी है। विश्वविद्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि रांची विश्वविद्यालय और विनोबा भावे विश्वविद्यालय में रहते हुए उन्होंने कोई नीतिगत निर्णय नहीं लिया, सिर्फ सुझाव दिया था।
कुलपति ने कहा कि विनोबा भावे विश्वविद्यालय में रहते हुए उन्होंने छात्रावास, सुरक्षा और मैनपॉवर को लेकर जरूर सुझाव दिए थे। कुलपति रहने के दौरान उन्हें जानकारी मिली थी कि मैन पावर सप्लाई करने वाली कंपनी ने ईपीएफ के नाम पर गड़बड़ी की है। इसके साथ ही उसने करीब 80 लाख रुपए ऐप में जमा नहीं किए हैं। उन्होंने प्रभारी कुलपति रहते हुए मामले में कार्रवाई पर सुझाव दिया था।
प्रोफेसर डॉ दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि रांची यूनिवर्सिटी में रहने के दौरान रजिस्टार और फाइनेंस एडवाइजर की तरफ से, जो फाइल मुझे दी गई थी उन पर सुझाव दिये गए हैं। रजिस्टार और फाइनेंस एडवाइजर को भी, राजभवन की तरफ से स्पष्ट निर्देश था कि कुलपति नीतिगत फैसला नहीं लेंगे सिर्फ नियमित कार्य करेंगे।
उल्लेखनीय है कि कुलाधिपति संतोष कुमार गंगवार ने बुधवार को रांची विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति डाॅ दिनेश कुमार सिंह को हटा दिया है। अब उनकी जगह पर झारखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय रांची के कुलपति डॉ डीके सिंह को प्रभारी कुलपति बनाया है। राजभवन की ओर से यह निर्देश दिया गया है कि विश्वविद्यालय के सामान्य प्रशासनिक कार्यों को छोड़कर किसी भी प्रकार के नीतिगत निर्णय के लिए कुलाधिपति की स्वीकृति जरूरी होगी।
राज्यपाल ने रांची विश्वविद्यालय के पूर्व प्रभारी कुलपति दिनेश सिंह के खिलाफ जांच का आदेश दिया है। दिनेश सिंह पर अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर एफिलिएटेड कॉलेज में अपनी मर्जी से प्रिंसिपल नियुक्त कर दिया। साथ ही उनपर वित्तीय अनियमितता के भी गंभीर आरोप हैं।
बता दें कि दिनेश कुमार सिंह मूलतः नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के कुलपति हैं। नियमित कुलपतियों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद उन्हें विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलपति का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था।
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हिन्दुस्थान समाचार / दिलीप कुमार