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कोलकाता, 12 जून (हि. स.)। बहरमपुर गर्ल्स कॉलेज की छात्रा सुतपा चौधरी की नृशंस हत्या के मामले में दोषी सुषांत चौधरी की फांसी की सजा को कलकत्ता हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है। न्यायमूर्ति देबांशु बसाक और न्यायमूर्ति शब्बर रशिदी की डिवीजन बेंच ने यह सजा घटाकर उम्रकैद में बदल दी है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि सुषांत को 40 साल की सजा पूरी करने से पहले किसी भी हालत में रिहा नहीं किया जा सकता।
यह वारदात दो मई 2022 को शाम के वक्त बहरमपुर के कात्यायनी इलाके में हुई थी। सुतपा चौधरी, जो बहरमपुर गर्ल्स कॉलेज में जीव विज्ञान की छात्रा थी, एक दोस्त के साथ सिनेमा देखकर लौट रही थी। जैसे ही वह अपने हॉस्टल के बाहर पहुंची, उसी समय उसके पूर्व प्रेमी सुषांत ने पीछे से उस पर चाकू से हमला कर दिया। सुतपा के शरीर पर 42 बार चाकू से वार किए गए थे। इस दिल दहला देने वाली घटना के दौरान स्थानीय लोग स्तब्ध रह गए और कोई उसकी मदद के लिए आगे नहीं आया। सुषांत हाथ में नकली पिस्तौल दिखाकर सबको डराते हुए वहां से भाग निकला।
घटना के कुछ घंटों के भीतर ही सुषांत को पुलिस ने राष्ट्रीय राजमार्ग 34 के पास शमशेरगंज इलाके से गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में उसने कबूला कि सुतपा द्वारा प्रेम प्रस्ताव ठुकराए जाने से आहत होकर उसने यह कदम उठाया।
हत्या के 75 दिन के भीतर पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की थी और सेशन कोर्ट ने इस मामले को 'दुर्लभतम में दुर्लभतम' अपराध मानते हुए सुषांत को फांसी की सजा सुनाई थी। यह मामला नियम के अनुसार ‘डैथ रेफरेंस’ के तौर पर हाईकोर्ट में भी पहुंचा और साथ ही सुषांत ने सजा के खिलाफ अपील भी की।
हाईकोर्ट ने आरोपित की ओर से कानूनी मदद के लिए लिगल सर्विसेज अथॉरिटी के माध्यम से अधिवक्ता कल्लोल मंडल को नियुक्त किया। उन्होंने दलील दी कि वारदात के समय आरोपित की उम्र केवल 21 वर्ष थी और उसके खिलाफ पहले किसी अपराध का रिकॉर्ड नहीं था। उन्होंने ट्रायल कोर्ट द्वारा दिए गए ‘दुर्लभतम में दुर्लभतम’ अपराध के दर्जे को भी चुनौती दी।
डिवीजन बेंच ने आरोपित की उम्र, उसका पूर्व आचरण और जेल में किसी भी प्रकार की अनुशासनहीनता के अभाव को ध्यान में रखते हुए फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। हालांकि कोर्ट ने साफ किया कि सुषांत को 40 वर्षों की सजा पूरी करने से पहले रिहाई की याचिका पर विचार नहीं किया जाएगा।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर