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जगदलपुर, 7 दिसंबर (हि.स.)। शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय करीतगांव की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा चल रही सुरक्षित पारा सुरक्षित लईकामन 3.0 परियोजना ने दूसरे सप्ताह में ग्राम कोहकापाल के मांझिपारा, पूजारीपारा, तरईपारा, सुग्रापाल और नयापारा में सार्थक बदलाव की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की। यह परियोजना छत्तीसगढ़ शासन, स्वच्छ भारत अभियान, यूनिसेफ तथा शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय, धरमपुरा-जगदलपुर के संयुक्त तत्वावधान में संचालित है, जिसकी कार्यशाला 22 नवंबर को विश्वविद्यालय परिसर में सम्पन्न हुई थी।
इस कार्यशाला में राज्य एनएसएस अधिकारी डॉ. नीता वाजपेई, यूनिसेफ के राज्य समन्वयक अभिषेक त्रिपाठी, कार्यक्रम समन्वयक डॉ. संजीवन कुमार, कुलसचिव डॉ. राजेश लालवानी एवं कुलपति प्रो. मनोज कुमार श्रीवास्तव की उपस्थिति में स्वयंसेवकों को बाल संरक्षण, स्वच्छता, पोषण एवं मानसिक स्वास्थ्य विषयों पर मार्गदर्शन प्रदान किया गया था। इसी दिशा-निर्देश को आधार बनाकर एनएसएस स्वयंसेवक ग्रामीण समुदायों में गहन कार्य कर रहे हैं।
दूसरे सप्ताह के दौरान स्वयंसेवकों ने पारों के बच्चों और अभिभावकों से संवाद स्थापित कर स्वच्छता, पौष्टिक आहार, लैंगिक हिंसा से सुरक्षा, मानसिक स्वास्थ्य एवं सामाजिक व्यवहार परिवर्तन पर विस्तृत सर्वे किया। इस दौरान कुछ परिवारों ने बच्चों के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं तथा शाला त्यागने के कारण भी साझा किए, जिन पर स्वयंसेवकों ने सामुदायिक स्तर पर समाधान खोजने और उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने की पहल प्रस्तावित की।
स्वयंसेवकों ने ग्रामीणों को जागरूक करते हुए बताया कि परियोजना का उद्देश्य कुपोषण, बाल विवाह, लैंगिक हिंसा और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर सकारात्मक परिवर्तन लाना है, ताकि हर बच्चे को सुरक्षित, स्वस्थ और प्रोत्साहनपूर्ण वातावरण मिल सके। पारों में किए गए संवाद ने न केवल समस्याओं को उजागर किया, बल्कि समाधान की दिशा में सहयोगी वातावरण भी तैयार किया।
परियोजना की सफलता में विद्यालय की प्राचार्य मोनिता पानिग्राही तथा एनएसएस इकाई के कार्यक्रम अधिकारी राहुल सिंह ठाकुर, सहायक अधिकारी वाणी हुमने, लोकेश निषाद और सभी स्वयंसेवकों—भरतलाल नाग, परमेश्वर नाग, सोमवती कश्यप, शबनम कश्यप, राहुल बघेल, निर्मल भारती, हेमंत बघेल, सिरधर कश्यप, खुशबू बघेल आदि का उल्लेखनीय योगदान रहा। सुरक्षित पारा सुरक्षित लईकामन 3.0 परियोजना बस्तर के ग्रामीण क्षेत्रों में बाल संरक्षण और सामुदायिक जागरूकता का नया अध्याय लिख रही है, जिसका प्रभाव आने वाले समय में और व्यापक रूप से दिखाई देगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / राकेश पांडे