त्रिपक्षीय वार्ता के बाद 841 श्रमिकों को मिलेगी रोजगार, जीएम ने लगाई मुहर
चतरा, 7 दिसंबर (हि.स.)। टंडवा के आम्रपाली कोल परियोजना में एनसीसी कंपनी के भूमि पूजन उत्खनन कार्य को लेकर कुमरांग कला हनुमान मंदिर के प्रांगण में पांच गांवों के विस्थापित रैयत ग्रामीण, सीसीएल एवं एनसीसी कंपनी के बीच रविवार काे त्रि-पक्षीय वार्ता स
बैठक में उपस्थित


चतरा, 7 दिसंबर (हि.स.)। टंडवा के आम्रपाली कोल परियोजना में एनसीसी कंपनी के भूमि पूजन उत्खनन कार्य को लेकर कुमरांग कला हनुमान मंदिर के प्रांगण में पांच गांवों के विस्थापित रैयत ग्रामीण, सीसीएल एवं एनसीसी कंपनी के बीच रविवार काे त्रि-पक्षीय वार्ता संपन्न हुई। जिसकी अध्यक्षता आम्रपाली प्रबंधक अमरेश सिंह ने किया।

बैठक में मुख्य रूप से सांसद प्रतिनिधि मंटू सिंह उर्फ प्रेम विकास और टंडवा थाना प्रभारी अनिल उरांव उपस्थित हुए। बैठक में विस्थापित रैयतों ने रोजगार, नौकरी, जमीन सत्यापन, सड़क, बिजली, शिक्षा, अस्पताल जैसी बुनियादी सुविधा की मांग की। इसके अलावे अम्बे और बीएलए कंपनी में कार्यरत 581 श्रमिकों को नागार्जुन कंपनी में समायोजन की मांग रखी। जहां जीएम अमरेश सिंह ने कहा कि पूर्व में कार्यरत श्रमिकों की बहाली नागार्जुन कंपनी में समायोजित होगी।

वहीं ग्रामीणों की ओर से 320 नए श्रमिकों को रोजगार की मांग रखी गई। जहां 260 नए श्रमिकों को रोजगार में रखने के साथ सहमति बनी साथ ही कहा गया कि जैसे जैसे कंपनी का कार्यक्षेत्र बढ़ता जाएगा वैसे बाकी बचे हुए बेरोजगार को रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा।

वहीं पांचों गांव की संपूर्ण जंगल झाड़ी का डायवर्सन और जीएमके भूमि का सत्यापन कंपनी अपने स्तर से अधिकतम एक वर्ष में कराने में सहमति बनी। इसके अलावे 2014 में हुए समझौते के अनुसार कुमरांग कला , खुर्द और उड़सु के क्षेत्र में तीन नए कांटा घर स्थापित था जिसे वर्ष 2019 में हटा दिया गया उसे छह महीनों में पुनःस्थापित करने की बात कही गई।

बैठक में प्रत्येक विस्थापित गांव में पुनर्वास समिति का जिला प्रशासन की उपस्थिति में गठन किया जाएगा। जिसका पत्र प्रबंधन ने जारी कर दिया। बैठक में यह भी सहमति बनी पांचों गांव के विस्थापित परिवार को लेकर ग्राम सभा के माध्यम से चयनित स्थल पर पूरी सुविधा विरासत और संस्कृति को संरक्षित करते हुए पुनर्वास किया जाएगा। इसके साथ ही वार्ता की कॉपी सीसीएल के लेटरपैड पर अंकित कर सरकारी दस्तावेज के रूप में विस्थापित गांव, जिला प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों को उपलब्ध कराई जाएगी।

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हिन्दुस्थान समाचार / जितेन्द्र तिवारी