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गुमला, 06 अगस्त (हि.स.)। गुमला में मुठभेड़ में मारा गया प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआई) का सुप्रीमो सह रिजनल कमांडर मार्टिन केरकेट्टा के खिलाफ 72 मामले दर्ज थे। उसका आंतक सात जिले में था। इनमें गुमला, सिमडेगा, चाईबासा, चतरा, हजारीबाग, रांची और खूंटी शामिल थे। केरकेट्टा के खिलाफ सबसे ज्यादा 30 केस गुमला में दर्ज थे। सिमडेगा में छह, चाईबासा में चार, चतरा में एक, हजारीबाग में तीन, रांची में 11 और खूंटी जिले में 17 मामले दर्ज हैं।
गुमला एसपी हरीश बिन जमां ने बुधवार को बताया कि पुलिस अधीक्षक गुमला को गुप्त सूचना मिली थी कि कामडारा थानान्तर्गत चंगाबारी गांव के बनटोली के आस-पास जंगली पहाड़ी क्षेत्रों में पीएलएफआई उग्रवादी के सदस्य किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के उद्देश्य से भ्रमणशील हैं। उक्त सूचना पर एक छापेमारी टीम का गठन कर घेराबंदी की। इसी क्रम में मंगलवार देर रात पुलिस बल और पीएलएफआई उग्रवादियों के बीच मुठभेड़ हुई, जिसमें पुलिस की ओर से आत्मरक्षार्थ की गई फायरिंग में 15 लाख का ईनामी पीएलएफआई सुप्रीमो सह-रिजनल कमांडर मार्टिन केरकेट्टा मारा गया। केरकेट्टा गुमला के कामडारा का रहने वाला है। मौके से 5.76 एमएम का एक पिस्टल और गोली बरामद की। मामले में आगे की कार्रवाई की जा रही है।
दिनेश गोप के बाद मार्टिन बना था सुप्रीमो
एनआईए और झारखंड पुलिस के संयुक्त प्रयास के बाद पीएलएफआई के सुप्रीमो दिनेश गोप को नेपाल से गिरफ्तार किया गया था। दिनेश गोप के जेल जाने के बाद मार्टिन को संगठन का सुप्रीमो बनाया गया था। दिनेश गोप पर भी 25 लाख रुपये का इनाम घोषित था। दिनेश गोप के गिरफ्तार होने के बाद मार्टिन ही पीएलएफआई की पूरी कमान संभाल रहा था और जगह-जगह पर वारदातों को अंजाम दिलवा कर पीएलएफआई के नाम पर खौफ पैदा कर रहा था। मार्टिन के द्वारा सबसे ज्यादा रंगदारी मांगने की वारदातों को अंजाम दिए गया था। बताया जाता है कि जितनी तत्परता के साथ पुलिस को दिनेश गोप की तलाश थी, उससे कहीं ज्यादा इंतजार मार्टिन को पकड़ने का था। कई बार पुलिस को चकमा देकर मार्टिन फरार हो जाता था।
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हिन्दुस्थान समाचार / विकाश कुमार पांडे