फ्राड साबित होने तक किसी को दोषी ठहराना सही नहीं : उच्च न्यायालय
इलाहाबाद हाईकाेर्ट


--सहायक अध्यापक की बर्खास्तगी रद्द, तत्काल बहाली का निर्देश

प्रयागराज, 05 अगस्त (हि.स.)। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि जब तक फ्राड साबित न हो जाय किसी को दोषी नहीं माना जा सकता। कोई प्रमाणपत्र विभागीय गलती से जारी हो जिसमें लाभार्थी की कोई भूमिका न हो तो इसे अनियमितता ही कहेंगे।

कोर्ट ने कहा याची के पितामह स्वतंत्रता सेनानी थे। जब याची 16 साल का था तो स्वतंत्रता सेनानी आश्रित प्रमाणपत्र जारी किया गया था। किंतु रजिस्टर पर दर्ज नहीं किया गया। बाद में 31 साल की आयु में दुबारा प्रमाणपत्र जारी किया गया। उसे दोहरे प्रमाणपत्र व फ्राड करने के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया। जिसे याचिका में चुनौती दी गई थी।

न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने कहा प्रमाणपत्र जारी कराने में याची का कोई रोल नहीं है। फ्राड करके प्रमाणपत्र हासिल किया है, इसे साबित नहीं किया गया है। विभागीय गलती के लिए उसे दंडित नहीं किया जा सकता।

कोर्ट ने नवतेज कुमार सिंह की याचिका स्वीकार करते हुए बर्खास्तगी आदेश रद्द कर दिया और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी बलिया को तत्काल याची की सहायक अध्यापक पद पर बहाल कर काम करने देने का निर्देश दिया है।

मालूम हो कि, याची 2021 की सहायक अध्यापक भर्ती में फ्रीडम फाइटर आश्रित कोटे में चयनित हुआ और जूनियर बेसिक स्कूल यादव बस्ती, बलिया में नियुक्त हुआ। दस्तावेज सत्यापन में पता चला कि जिस क्रमांक 1114 पर याची को 04 अप्रैल 8 को प्रमाणपत्र दिया गया है, जिलाधिकारी कार्यालय के रजिस्टर में दूसरे व्यक्ति हरमीत सिंह का नाम दर्ज है।

कोर्ट ने कहा निर्विवाद रूप से याची फ्रीडम फाइटर आश्रित है। उसने 1 अप्रैल 21 को प्रमाणपत्र पेश किया। क्रमांक पर याची का नाम दर्ज न करना लिपिकीय गलती है। इसके लिए याची को फ्राड का दोषी नहीं मान सकते। नियुक्ति पाने में उसने कोई धोखाधड़ी नहीं की है।

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हिन्दुस्थान समाचार / रामानंद पांडे