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धर्मशाला, 05 अगस्त (हि.स.)। सम्राट ललितादित्य राष्ट्रीय एकात्मता के एक शक्तिशाली प्रतीक हैं। उन्होंने भारत पर हो रहे विदेशी आक्रमणों को न केवल पीछे धकेला बल्कि लगभग़ संपूर्ण राष्ट्र को एकसूत्र में पिरोया था। यह उनका पराक्रम ही था, जिसके कारण आक्रान्ता कई दशकों तक भारत पर आक्रमण की हिम्मत नहीं जुटा पाए। सम्राट ललितादित्य का स्मरण कर युवाओं को विकसित भारत का स्वप्न साकार करने के लिए कमर कस लेनी चाहिए। यह बातें हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल ने मंगलवार को कश्मीर अध्ययन केंद्र द्वारा आयोजित ‘एकात्म भारत’ विषय पर बोलते हुए कहीं। यह व्याख्यान सम्राट ललितादित्य व्याख्यानमाला के अंतर्गत आयोजित किया गया था।
प्रो. बंसल ने कहा कि विश्वविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने में तो अग्रणी रहा ही है, अब इससे सम्बंधित पाठ्यपुस्तकों को तैयार करने के लिए तैयारी कर रहा है। उन्होंने कहा कि अगले कुछ महीनो में विश्वविद्यालय भारतीय ज्ञान परंपरा की अनेक पुस्तकों को प्रकाशित करने जा रहा है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र के निदेशक आशुतोष भटनागर ने कहा है कि सम्राट ललितादित्य के राज्यारोहण का यह 1300 वां वर्ष है और यह एकात्मता भाव को पुष्ट करने का अवसर बन सकता है। भटनागर ने कहा कि भारत की सीमाएं प्राकृतिक हैं और पिछली कई शताब्दियों में उसकी समझ भारतीयों में एक जैसी बने हुई है। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान एकात्मता पर बल देता है, एकरूपता पर नहीं और यदि हमें राष्ट्रीय एकात्मता को मजबूत करना है तो एकात्मता के भाव पर ही बल देना होगा।
सीयू हिमाचल और जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र के बीच एमओयू
इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय और जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र के बीच समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर हुए। प्रो. बंसल ने जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र के निदेशक आशुतोष भटनागर को हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कश्मीर अध्ययन केंद्र का सलाहकार नियुक्त करने की घोषणा की। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने इसी सत्र से तिब्बतन और बुद्धिस्ट स्टडीज और विश्वविद्यालय के अपने एमएमटीटीसी शुरू करने की घोषणा की, इन दोनों केन्द्रों के निदेशक प्रो. संदीप कुलश्रेष्ठ होंगे।
हिन्दुस्थान समाचार / सतेंद्र धलारिया