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धर्मशाला, 05 अगस्त (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश ने हरित और सतत विकास की दिशा में एक नया अध्याय शुरू किया है। बोस्टन एनसीएसएल शिखर सम्मेलन 2025 में भाग लेते हुए विधायक एवं उप मुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुखू के नेतृत्व में राज्य पर्यावरणीय स्थिरता, इको-टूरिज्म, स्वास्थ्य नवाचार और डिजिटल भविष्य की ओर तेज़ी से अग्रसर है।
इको-टूरिज्म : शाहपुर बनेगा हरित पर्यटन का केंद्र
केवल सिंह पठानिया ने बताया कि शाहपुर निर्वाचन क्षेत्र को इको-टूरिज्म का प्रमुख केंद्र बनाया जाएगा, जहां पौंग बांध में जल क्रीड़ाओं का विस्तार और धौलाधार श्रृंखला में करेरी झील का पर्यावरण-संवेदनशील विकास होगा। इसके अतिरिक्त तलेरू झील (चंबा) और गोविंद सागर झील में नियंत्रित इको-टूरिज्म और जल गतिविधियां शुरू होंगी।
शाहपुर को खज्जियार और चंबा दर्रों से जोड़ने के लिए रोपवे स्थापित किए जाएंगे, जिससे पर्यावरणीय संतुलन बना रहेगा और कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी।
जलवायु संकट की चेतावनी
उन्होंने यह भी चेताया कि हिमालयी ग्लेशियर हर वर्ष 15 से 20 मीटर तक पीछे हट रहे हैं, जिससे बाढ़, भूस्खलन और जैव विविधता का भारी नुकसान हो रहा है। इस संदर्भ में उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि हिमालय के लिए जलवायु न्याय, सभी के लिए जलवायु न्याय है।
विधायक पठानिया ने खुलासा किया कि इको-टूरिज्म और पर्यावरणीय संरक्षण पर हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हिमाचल के साथ शोध सहयोग करेंगे। यह साझेदारी हिमालयी पारिस्थितिकी को वैश्विक मंच पर लाने में अहम भूमिका निभाएगी।
हिमाचल के दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों में भी लोगों को विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधा मिले, इसके लिए रोबोटिक सर्जरी जैसी अत्याधुनिक तकनीकों को प्राथमिकता दी जा रही है।
राज्य सरकार का लक्ष्य है कि हिमाचल की अगली पीढ़ी को स्टार्टअप संस्कृति और डिजिटल शिक्षा से जोड़कर उन्हें सशक्त बनाया जाए।
केवल सिंह पठानिया ने कहा कि हिमाचल प्रदेश वैश्विक मंच से सतत विकास, इको-टूरिज्म और स्वास्थ्य नवाचार के लिए साझेदारियों का स्वागत करता है।
हिन्दुस्थान समाचार / सतेंद्र धलारिया