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शिमला, 05 अगस्त (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड के कर्मचारियों के ट्रेड यूनियन कर्मचारियों की बहाली को लेकर श्रमिक संगठन सीटू ने मंगलवार को शिमला स्थित कुमार हाउस, बिजली बोर्ड मुख्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया।
सीटू के प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा कि वर्तमान समय में बिजली बोर्ड प्रबंधन यूनियन नेताओं को चार्जशीट देने, निलंबित करने और जबरन तबादले करने जैसे अलोकतांत्रिक तरीके अपना रहा है। उन्होंने मांग की कि इन कार्रवाइयों को तुरंत रद्द किया जाए और फील्ड कार्यालयों में गेट मीटिंग, धरना और रैली जैसे लोकतांत्रिक कार्यक्रमों पर लगी रोक को भी हटाया जाए।
मेहरा ने आरोप लगाया कि यह सब भ्रष्टाचार के खिलाफ उठने वाली आवाज़ों को दबाने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यूनियन को संविधान और ट्रेड यूनियन एक्ट 1926 के तहत जो अधिकार मिले हैं, उन्हें छीना जा रहा है, जो लोकतंत्र के खिलाफ है।
उन्होंने केंद्र और प्रदेश सरकार की जनविरोधी नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि नवउदारवादी नीतियों के चलते प्रदेश का सार्वजनिक क्षेत्र कमजोर होता जा रहा है। इससे प्रदेश के 28 लाख बिजली उपभोक्ता और करीब 16 हजार कर्मचारी प्रभावित हो रहे हैं।
सीटू नेता ने यह भी आरोप लगाया कि लंबे समय से बिजली बोर्ड के निजीकरण की कोशिशें हो रही हैं और 2022 के बिजली विधेयक के जरिये इन्हें और बढ़ावा मिला है। उन्होंने स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया को भी निजीकरण की दिशा में एक कदम बताया।
मेहरा ने दावा किया कि स्मार्ट मीटर के नाम पर करीब 2,000 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं, जिनमें से आधा खर्च गैरजरूरी है। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि जब सरकार पहले से ही 13 लाख उपभोक्ताओं को 125 यूनिट मुफ्त बिजली दे रही है, तो फिर मीटर बदलने की क्या जरूरत है? इसे उन्होंने खुला भ्रष्टाचार बताया।
सीटू ने 7 अगस्त को शिमला में होने वाली बिजली कर्मचारियों की रैली को अपना पूरा समर्थन देने का ऐलान किया और कर्मचारियों की मांगों को जायज बताते हुए उनके संघर्ष में साथ खड़े रहने की बात कही।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा