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नई दिल्ली, 01 अगस्त (हि.स.)। उच्चतम न्यायालय ने उत्तरप्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ फर्जी शैक्षिक दस्तावेज के आधार पर
धोखाधड़ी करके पद हासिल करने के आरोप में एफआईआर दर्ज करने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस सुधांशु धुलिया की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिका खारिज करने का आदेश दिया।
याचिका दिवाकर नाथ त्रिपाठी ने दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि केशव प्रसाद मौर्या ने 2007, 2012 और 2014 के चुनावों में निर्वाचन आयोग के समक्ष अपनी शैक्षिक योग्यताओं के बारे में गलत हलफनामा प्रस्तुत किए थे। याचिका में आरोप लगाया गया था कि मौर्या ने इंडियन ऑयल कारपोरेशन से पेट्रोल पंप हासिल करने के लिए फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल किया था। याचिका में मौर्या के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी।
याचिकाकर्ता ने आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी का हवाला देते हुए याचिका में दावा किया था कि मौर्या द्वारा हिंदी साहित्य सम्मेलन, इलाहाबाद से प्राप्त प्रथम, मध्यमा और उत्तमा की डिग्रियां यूपी सरकार, यूजीसी और एनसीटीई की ओर से हाईस्कूल, इंटरमीडिएट और स्नातक के बराबर मान्यता प्राप्त नहीं हैं।
याचिकाकर्ता ने पहले ट्रायल कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे 4 सितंबर, 2021 में खारिज कर दिया गया था। ट्रायल कोर्ट के आदेश को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 7 जुलाई को याचिका खारिज कर दी थी। इसी के बाद दिवाकर नाथ त्रिपाठी ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
हिन्दुस्थान समाचार/संजय
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हिन्दुस्थान समाचार / अमरेश द्विवेदी