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सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत बढ़ाने की याचिका पर किया सुनवाई से इनकार
जोधपुर, 01 अगस्त (हि.स.)। गुजरात और राजस्थान में रेप मामलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे 86 साल के आसाराम बापू के लिए अब कानूनी राहत के रास्ते तेजी से सिमट रहे हैं। आज राजस्थान हाईकोर्ट में सजा स्थगन को लेकर लंबित याचिका पर एक बार फिर सुनवाई टल गई। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी दो दिन पहले गुजरात मामले में आसाराम की अंतरिम जमानत बढ़ाने की याचिका पर सुनवाई से मना कर दिया था। आसाराम जोधपुर में नाबालिग से रेप और गुजरात के मोटेरा आश्रम में साधिका से कई सालों तक रेप के मामलों में दोषसिद्ध है।
बता दे कि जोधपुर में 2013 के नाबालिग से रेप के मामले में आसाराम की सजा के विरुद्ध अपील लंबित है। जनवरी 2025 में राजस्थान हाईकोर्ट ने आसाराम को मार्च 31 तक मेडिकल ग्राउंड पर अस्थायी जमानत दी थी। अप्रैल में गुजरात हाईकोर्ट से मिली राहत खत्म होने पर राजस्थान हाईकोर्ट ने पहले उसकी जमानत बढ़ाने से मना करते हुए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन न करने और कथित उपदेश देने के आरोपों पर हलफनामा मांगा था। जस्टिस दिनेश मेहता और जस्टिस विनीत कुमार माथुर की खंडपीठ ने गत आठ जुलाई को आसाराम की अंतरिम जमानत को 12 अगस्त तक बढ़ाया था। कोर्ट के आदेश में स्पष्ट कहा गया कि आवेदक को अब आगे कोई राहत नहीं दी जाएगी। आसाराम ने 2018 में जोधपुर की विशेष पॉक्सो कोर्ट की ओर से सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट में अपील दायर कर रखी है। यह अपील 21 जुलाई और 25 जुलाई को सूचीबद्ध हुई थी, लेकिन सुनवाई नहीं हो सकी थी। आज भी यह मामला कोर्ट संख्या 5 में सूचीबद्ध हुआ, लेकिन एक बार फिर इसकी सुनवाई टल गई।
गुजरात हाईकोर्ट से सात अगस्त तक मिली है जमानत
सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम को 31 मार्च तक मेडिकल आधार पर अंतरिम जमानत दी थी। निर्देश दिया था कि आगे की राहत के लिए गुजरात हाईकोर्ट में याचिका लगा सकता है। गुजरात हाईकोर्ट ने 28 मार्च को आसाराम को 3 महीने की अस्थायी जमानत दी थी। यह अवधि तीस जून को खत्म होने वाली थी लेकिन दस्तावेजी औपचारिकता में देरी को देखते हुए इसे सात जुलाई तक बढ़ाया गया। तीन जुलाई को गुजरात हाईकोर्ट जस्टिस इलेश वोरा और जस्टिस पीएम रावल की पीठ ने आसाराम के वकील के तीन महीने के विस्तार की मांग को खारिज करते हुए सिर्फ एक महीने का समय दिया, जहां से जमानत फिर से 7 अगस्त तक बढ़ा दी है। कोर्ट ने सख्त शब्दों में कहा- यह अंतिम विस्तार होगा और स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार अंतरिम जमानत का सिलसिला कभी खत्म नहीं होने वाली प्रक्रिया न बन जाए।
हिन्दुस्थान समाचार / सतीश