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पूर्वी सिंहभूम, 16 जून (हि.स.)। पूर्वी सिंहभूम (जमशेदपुर ) राज्य की प्रमुख स्थानीय भाषाओं भोजपुरी, मैथिली, मगही और अंगिका को शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) में शामिल किए जाने की मांग को लेकर विभिन्न भाषायी संगठनों ने सोमवार को सरकार के खिलाफ आवाज़ बुलंद की।
सिंहभूम जिला भोजपुरी साहित्य परिषद के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए संबंधित ज्ञापन उप विकास आयुक्त अनिकेत सचान को सौंपा और इन भाषाओं को अविलंब शिक्षक पात्रता परीक्षा में शामिल करने की मांग की।
प्रतिनिधियों ने कहा कि झारखंड राज्य निर्माण की लड़ाई में भोजपुरी, मैथिली, मगही और अंगिका भाषी समाज ने अहम भूमिका निभाई है। एकीकृत बिहार के दौर से ही इन भाषाओं का राज्य की सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान में योगदान रहा है।
सिंहभूम जिला भोजपुरी साहित्य परिषद के अध्यक्ष अरविंद विद्रोही ने कहा कि जब झारखंड राज्य बनने की लड़ाई चल रही थी, तब इन भाषाओं के बोलने वाले लोगों ने कंधे से कंधा मिलाकर आंदोलन किया, मुकदमे झेले और जेल भी गए। आज अगर इन भाषाओं को उपेक्षित किया जा रहा है, तो इन संघर्षशील समाज के साथ अन्याय है।
प्रतिनिधिमंडल ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने इसे लेकर जल्द कोई निर्णय नहीं लिया, तो सभी भाषायी संगठन राज्यव्यापी आंदोलन छेड़ने को विवश होंगे।
मौके पर विभिन्न भाषायी संगठनों के प्रतिनिधि सहित अन्य उपस्थित थे।
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हिन्दुस्थान समाचार / गोविंद पाठक