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जयपुर, 13 जून (हि.स.)। जेडीए अपीलीय अधिकरण ने सिरसी रोड को चौड़ा करने से जुडे मामले में कहा है कि वाहनों के बढ़ते दबाव, शहर के विकास और सौंदर्यीकरण के लिए रोड को मास्टर प्लान के अनुसार चौडा करना समय की मांग है। लेकिन, इस प्रक्रिया में यह ध्यान रखना जरूरी है कि किसी व्यक्ति के साम्पत्तिक अधिकार विपरीत रूप से प्रभावित नहीं हो। अधिकरण ने कहा कि अतिक्रमी किसी अनुतोष के अधिकारी नहीं है, लेकिन वैध दस्तावेजों से काबिज व्यक्ति को उसे अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता और इसे सुनिश्चित करने का दायित्व जेडीए जैसी संस्था को है। इसके साथ ही अधिकरण ने मामले में जेडीए की ओर से जारी नोटिस को निरस्त करने से इनकार करते हुए अपीलार्थियों को कहा है कि वह ग्राम पंचायत के पट्टे व अन्य दस्तावेजों के साथ पन्द्रह दिन में जेडीए के समक्ष अपना अभ्यावेदन पेश करे। जेडीए यदि अपीलार्थियों के स्वामित्व को माने तो उनके मुआवजे का निर्धारण किया जाए। वहीं यदि उनके अभ्यावेदन को निरस्त किया जाता है तो अपीलार्थियों को सूचित करने के पन्द्रह दिन बाद अग्रिम कार्रवाई की जा सकती है। पीठासीन अधिकारी राजेश ने यह आदेश बच्चू सिंह व अन्य की ओर से पेश अपील पर सुनवाई करते हुए दिए।
अपील में कहा गया कि जेडीए ने गत 28 नवंबर को उन्हें जेडीए अधिनियम की धारा 72 के तहत नोटिस देकर दुकानों को रोड पर बनाना बताकर उन्हें हटाने की बात कही है। जबकि साल 1960 में ग्राम पंचायत कोर्ट झोटवाडा ने इस जमीन के पट्टे जारी किए थे और तब से अपीलार्थी यहां काबिज है। यहां स्थित रोड पूर्व में सौ फीट चौडी थी। वहीं मास्टर प्लान में इसे 160 फीट किया गया। अपील में कहा गया कि सिर्फ मास्टर प्लान में प्रस्तावित किए जाने से जमीन का स्वामित्व जेडीए का नहीं हो जाता है। दूसरी ओर जेडीए की ओर से अधिवक्ता अमित कुडी ने कहा कि संबंधित पट्टा जाली है। वहीं उनका पंजीकरण भी नहीं कराया गया है। मास्टर प्लान में इस रोड को 160 फीट करते समय आमजन से आपत्तियां मांगी गई थी, लेकिन अपीलार्थी ने कोई आपत्ति नहीं दी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अधिकरण दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक