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-डी एड डिप्लोमा धारक को सहायक अध्यापक पद के योग्य न मानने के आदेश पर हस्तक्षेप से इंकार
प्रयागराज, 09 मई (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा कि डिप्लोमा इन एजुकेशन (डी.एड) और डिप्लोमा इन एलीमेंटरी एजुकेशन (डी.एल.एड) समकक्ष पाठ्यक्रम नहीं हैं और डी एड सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति की अर्हता नहीं है।
कोर्ट ने याची डी एड डिप्लोमा धारक को सहायक अध्यापक नियुक्त करने से इंकार करने के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया और याचिका खारिज कर दी। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की एकल पीठ ने संघ प्रिय गौतम की याचिका पर दिया है।
याची ने वर्ष 2014 में मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से डी.एड डिप्लोमा किया और 2015 में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण की और वर्ष 2016 में शुरू हुई सहायक अध्यापक चयन प्रक्रिया में शामिल हुआ। वह चयनित घोषित किया गया। 7 जनवरी, 2024 को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, सीतापुर द्वारा याची को सहायक अध्यापक पद के लिए नियुक्ति पत्र जारी किया गया। हालांकि, उसे विद्यालय आवंटित नहीं किया गया क्योंकि उसका डी.एड प्रमाणपत्र डी.एल.एड के समकक्ष नहीं माना गया।
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् की अधिसूचना के अनुसार, कक्षा 1 से 5 तक के विशेष वर्ग के छात्रों के लिए शिक्षकों की नियुक्ति के लिए डिप्लोमा इन एलीमेंटरी एजुकेशन आवश्यक माना है। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि डी.एड और डी.एल.एड के पाठ्यक्रमों में मूलभूत अंतर है। डी.एल.एड बाल विकास, बाल मनोविज्ञान और शिक्षण की प्राथमिक विधियों पर केंद्रित होता है, जबकि डी.एड सामान्य शिक्षण विषयों पर आधारित होता है। इस आधार पर याची न्यूनतम शैक्षिक योग्यता पूरी नहीं करता है और इसलिए उसकी नियुक्ति नियमों के विरुद्ध है।
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हिन्दुस्थान समाचार / रामानंद पांडे