एकल पट्टा प्रकरण में राज्य सरकार को रिवीजन याचिका वापस लेने की मंजूरी, एसएलपी करने वाले पाठक को बनाया इंटर विनर
जयपुर, 12 मई (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने एकल पट्टा प्रकरण में तत्कालीन आईएएस अधिकारी जीएस संधू और दो अन्य निष्काम दिवाकर व ओंकारमल सैनी को लेकर राज्य सरकार की ओर से पूर्व में पेश रिवीजन याचिका को वापस लेने की अनुमति दे दी है। दूसरी ओर अदालत ने मामल
हाईकोर्ट जयपुर


जयपुर, 12 मई (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने एकल पट्टा प्रकरण में तत्कालीन आईएएस अधिकारी जीएस संधू और दो अन्य निष्काम दिवाकर व ओंकारमल सैनी को लेकर राज्य सरकार की ओर से पूर्व में पेश रिवीजन याचिका को वापस लेने की अनुमति दे दी है। दूसरी ओर अदालत ने मामले में सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी करने वाले आरटीआई कार्यकर्ता अशोक पाठक को इंटर विनर बना लिया है। सीजे एमएम श्रीवास्तव की एकलपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार और अशोक पाठक के प्रार्थना पत्रों पर सुनवाई करते हुए। इसके साथ ही अदालत ने आरोपियों की ओर से पेश याचिकाओं पर 14 मई से नियमित सुनवाई करने को कहा है। अदालत ने दोनों प्रार्थना पत्रों पर गत दिनों सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा ने बताया कि पूर्व में राज्य सरकार ने एसीबी कोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश कर पूर्व आईएएस जीएस संधू सहित अन्य के खिलाफ लंबित मुकदमा को वापस लेने की गुहार की थी। जिसे एसीबी कोर्ट ने खारिज कर दिया था। एसीबी कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की ओर से हाईकोर्ट में रिवीजन याचिका दायर की गई। इस रिवीजन याचिका को वापस लेने की गुहार करते हुए राज्य सरकार ने दलील दी कि अभियोजन वापस लेने का पूर्व का निर्णय औचित्यहीन है और मौजूदा राज्य सरकार आरोपियों के खिलाफ उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर केस को आगे बढाना चाहती है। वहीं राज्य सरकार को यह अधिकार है कि यदि जांच में कोई कमी, गलती या जांच दोषपूर्ण है तो वह न्याय के लिए उस संबंध में पूर्व में लिए गए निर्णय पर भी पुनर्विचार कर सकती है। इसलिए उन्हें रिवीजन याचिका वापस लेने की मंजूरी दी जाए। जिसका विरोध करते हुए तत्कालीन अधिकारियों की ओर से कहा गया कि सरकार बदलने के चलते राजनीतिक कारण से रिवीजन याचिका को वापस लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती। वहीं अशोक पाठक की ओर से कहा गया कि मामला भ्रष्टाचार से जुडा है और यह अपराध किसी व्यक्ति विशेष के प्रति नहीं, बल्कि समाज के खिलाफ होता है। ऐसे में उन्हें मामले में पक्षकार बनने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी एसएलपी पर सुनवाई की है। ऐसे में उन्हें मामले में पक्षकार बनाया जाए। जिसका विरोध करते हुए शांति धारीवाल व तत्कालीन अफसरों के वकीलों ने कहा कि आपराधिक मामले में किसी तीसरे पक्ष को पक्षकार नहीं बनाया जा सकता। दोनों प्रार्थना पत्रों पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने राज्य सरकार को रिवीजन याचिका वापस लेने की मंजूरी देते हुए अशोक पाठक को इंटर विनर बना लिया है।

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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक