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जयपुर, 12 मई (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने एमएलए और एमपी से जुडे आपराधिक मामलों को लेकर राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है। अदालत ने राज्य सरकार को सात अगस्त तक सालाना सारिणी के जरिए बताने को कहा है कि एमएलए और एमपी पर कितने आपराधिक प्रकरण किस साल में दर्ज हुए और वर्तमान में केस की सुनवाई किस स्तर पर चल रही है। सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस इन्द्रजीत सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद ने शपथ पत्र पेश किया। शपथ पत्र में अदालत को जानकारी दी गई कि एमएलए और एमपी के लंबित मुकदमों की सुनवाई कम से कम टालने को लेकर निर्देश दिए हैं। वहीं लोक अभियोजकों को कहा गया है कि जिन मामलों में आरोप नहीं बन रहे हैं, उनका जल्दी निस्तारण किया जाए। राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र में यह भी बताया गया है कि हर मामले में नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं, जो प्रकरण को आसानी से ट्रैक कर सकेंगे। शपथ पत्र को रिकॉर्ड पर लेते हुए अदालत ने राज्य सरकार से सात अगस्त तक लंबित मुकदमों की वर्षवार जानकारी पेश करने को कहा है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2023 में एमएलए और एमपी से जुडे आपराधिक मामलों में दिशा-निर्देश जारी कर हाईकोर्ट को इन केसों की निगरानी करने को कहा था। हाईकोर्ट ने मुख्य न्यायाधीश को कहा था कि वे इन मामलों के संबंध में स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेकर प्रकरण दर्ज करें और इनकी सुनवाई कर रहे ट्रायल कोर्ट की मॉनिटरिंग करते हुए समय-समय पर इनकी ट्रायल की रिपोर्ट मांगे और जरूरत होने पर इनकी सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट भी बनाए।
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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक