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- डॉ. मयंक चतुर्वेदी
भारत 2025 के इस मोड़ पर एक ऐसे आर्थिक दौर से गुजर रहा है, जिसकी गति केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं मानी जा सकती है, वह उसके सामाजिक ढांचे और नवाचार संस्कृति में स्पष्ट दिखाई दे रही है। वैश्विक स्तर पर अनिश्चितताओं, महंगाई के दबाव, भू-राजनीतिक तनाव और निवेश बाजारों की अस्थिरता के बीच भारत ने 2025–26 की दूसरी तिमाही में 8.2 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज करके यह साबित किया है कि उसकी अर्थव्यवस्था अब किसी एक पहिए पर निर्भर संरचना नहीं है, कई आधारों पर चलने वाला मजबूत और संतुलित मॉडल बन चुकी है।
वस्तुत: विकास का यह नया चरण श्रम-सुधारों, उद्योगों में डिजिटलीकरण, उत्पादन बढ़ोतरी और सेवाक्षेत्र की स्थिर ऊर्जा से निर्मित हुआ है; किंतु इस समूचे परिदृश्य में जिस शक्ति ने भारत को अभूतपूर्व गति दी है, वह है देश का तेजी से उभरता स्टार्टअप इकोसिस्टम। उद्यमशीलता आज भारत में एक आर्थिक गतिविधि के साथ ही नई राष्ट्रीय चेतना का रूप ले चुकी है। यही कारण है कि उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग द्वारा 31 अक्टूबर 2025 तक 1,97,692 स्टार्टअप्स को दी गई मान्यता आज भारत की नई आर्थिक संस्कृति की पहचान बन चुकी है।
कहना होगा कि ये सभी स्टार्टअप्स जीएसआर अधिसूचना 127(ई) के तहत तय मानदंडों के अनुसार पंजीकृत हुए हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि स्टार्टअप की अवधारणा कागजी घोषणाओं तक सीमित नहीं रहेगी, वह वास्तविक नवाचार, उत्पाद-विकास और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने का आधार होंगे। यही कारण है कि 2016 में शुरू हुई स्टार्टअप इंडिया पहल हमें वर्तमान में एक राष्ट्रीय आर्थिक आंदोलन का रूप ले चुकने के रूप में दिखाई देने लगी है। अब इसे लेकर देश में विपक्ष द्वारा जो नकारात्मक माहौल बनाया जा रहा था, उसका भी जवाब संसद में वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद द्वारा आ ही गया है, जिसमें उन्होंने साफ बताया है कि 31 अक्टूबर 2025 तक केवल 6,385 स्टार्टअप्स बंद श्रेणी में दर्ज हैं, जोकि एक सक्रिय और प्रतिस्पर्धी बाजार अर्थव्यवस्था की स्वाभाविक वास्तविकता है।
यह भी एक तथ्य है, जिस पर सभी को गौर करना चाहिए कि दुनिया की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं अमेरिका, यूरोप और एशिया के अन्य दशों में भी स्टार्टअप सफलता-दर 10–15 प्रतिशत से अधिक नहीं होती। भारत में यह स्थिति इसलिए भी संतुलित मानी जाएगी क्योंकि यहाँ नए स्टार्टअप्स के पंजीकरण का वेग और नवाचार का स्पेक्ट्रम दोनों वैश्विक औसत से कहीं अधिक है।
भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम की सबसे बड़ी शक्ति यह है कि इसके पीछे एक संगठित और दूरदर्शी नीतिगत ढांचा मौजूद है। सरकार ने तीन प्रमुख योजनाओं फंड ऑफ फंड्स, स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम और क्रेडिट गारंटी स्कीम के माध्यम से स्टार्टअप विकास के अलग-अलग चरणों के लिए पूँजी, सुरक्षा और संरचनात्मक सहयोग उपलब्ध कराया है। फंड ऑफ फंड्स 10,000 करोड़ रुपये की कोषीय संरचना के साथ सिडबी के माध्यम से वैकल्पिक निवेश कोषों में निवेश करता है। वस्तुत: इस प्रणाली में सरकार सीधे स्टार्टअप में निवेश नहीं करती, बल्कि बाजार-आधारित पेशेवर निवेश ढांचे को मजबूत बनाती है। निवेश की गुणवत्ता में सुधार और पेशेवर मूल्यांकन की संस्कृति ने भारत को वैश्विक निवेशकर्ताओं के लिए आकर्षक गंतव्य बनाया है।
स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम ने उन स्टार्टअप्स के लिए जीवनरेखा का कार्य किया है जो अपने शुरुआती चरणों में धनाभाव का सामना करते हैं। अप्रैल 2021 में 945 करोड़ रुपये की संरचना के साथ शुरू हुई यह योजना देश भर के इनक्यूबेटरों के माध्यम से हजारों नए उद्यमों तक पहुँची है। भारत में आज जिस तेज गति से डीप-टेक, बायोटेक, क्लीन-टेक, एग्री-टेक और स्वास्थ्य-तकनीक आधारित स्टार्टअप उभर रहे हैं, उसका मूल बल इसी प्रारंभिक पूँजी-प्राप्ति के अवसरों में निहित है।
क्रेडिट गारंटी स्कीम उन स्टार्टअप्स को बिना संपार्श्विक सुरक्षा के ऋण दिलाने का माध्यम बनी है, जिनके लिए पारंपरिक बैंकिंग संरचना तक पहुँचना सबसे कठिन होता है। अप्रैल 2023 से चालू इस योजना ने बैंकिंग प्रणाली को जोखिम-संतुलित ऋण देने के लिए प्रेरित किया है और हजारों स्टार्टअप्स को वित्तीय पहुँच प्रदान की है। यह परिवर्तन भारतीय बैंकिंग इतिहास में महत्वपूर्ण माना जाएगा क्योंकि यह छोटे उद्यमों के लिए क्रेडिट के नए रास्ते खोल रहा है।
जब इन नीतिगत हस्तक्षेपों को भारत की 8.2 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि के साथ देखा जाता है तो यह साफ हो जाता है कि आर्थिक उछाल केवल उपभोग या निर्यात वृद्धि का परिणाम नहीं, यह तो केंद्र की मोदी सरकार की एक समन्वित नीतिगत मॉडल की उपलब्धि है। श्रम-सुधारों ने उत्पादन में दक्षता बढ़ाई, सेवाक्षेत्र की मजबूती ने आर्थिक स्थिरता दी और स्टार्टअप्स ने वह नवाचार शक्ति दी जिसने भारत को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में नई ऊँचाई पर पहुँचा दिया।
यही कारण भी है जो आज भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा इंटरनेट बाजार, तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम और नए उद्यमों की संख्या के मामले में अग्रणी देशों में शामिल है। यह एक देश के रूप में भारत के लिए आर्थिक उपलब्धि तो है ही साथ में सामाजिक परिवर्तन का संकेत भी है, जिसमें कि युवा भारत अब रोजगार पाने से अधिक रोजगार पैदा करने को प्राथमिकता दे रहा है।
सबसे उल्लेखनीय परिवर्तन यह है कि स्टार्टअप ऊर्जा अब कुछ महानगरों तक सीमित नहीं रही है, यह टियर-2 और टियर-3 शहर, विश्वविद्यालय परिसर, ग्रामीण नवाचार केंद्र और राज्य सरकारों की सक्रिय उद्योग-नीतियाँ से हुए हुए सर्वत्र व्याप्त हो चुकी है, कहना होगा कि ये सभी मिलकर आर्थिक समेकन की नई कहानी लिख रहे हैं। डिजिटल ढाँचे, यूपीआई, ओएनडीसी और सरकारी प्लैटफॉर्मों के विस्तार ने छोटे शहरों तक उद्यमशील अवसर पहुँचा दिए हैं।
आज भारत विश्व अर्थव्यवस्था को नई गति दे रहा है और अपनी क्षमता का एहसास कराते हुए वैश्विक नेतृत्व की ओर दृढ़ता से कदम बढ़ा रहा है। वास्तव में यह दृष्य अत्यधिक सुखद है, जिसमें विकास के अनेक अध्याय एक साथ लिखे जा रहे हैं। केंद्र में युवा ऊर्जा और नवाचार क्षमता है जो भारत को भविष्य की आर्थिक शक्ति में बदलने के लिए आज पूरी तरह से संकल्पित दिखती है।
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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. मयंक चतुर्वेदी