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जयपुर, 28 अक्टूबर (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश में साइबर ठगी की बढ़ती घटनाओं को लेकर डीजीपी और साइबर सेल के वरिष्ठ अधिकारियों व पुलिस कमिश्नर की मौजूदगी में कहा कि ठगी का मुख्य आरोपित गिरफ्त से दूर रहता है और वह 18 से तीस साल के नौजवान और युवाओं के जरिए अपराध करते हैं। इसके साथ ही अदालत ने केन्द्र सरकार और पुलिस से रिपोर्ट व सुझाव पेश करने को कहा है कि साइबर ठगी की रोकथाम के लिए क्या किया जा सकता है। इसके साथ ही अदालत ने मामले की सुनवाई 6 नवंबर को रखी है। जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश साइबर ठगी के एक दर्जन से अधिक आरोपितों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए।
सुनवाई के दौरान डीजीपी वीसी के जरिए अदालत से जुडे। वहीं साइबर सेल के एडीजी सहित अन्य आलाधिकारी व जयपुर पुलिस कमिश्नर अदालत में पेश हुए। पुलिस कमिश्नर ने अदालत को ठगी के तरीकों के बारे में बताया। उन्होंने अदालत को बताया कि इस तरह के मामलों में कई चुनौतियां आती है। कई बार आरोपित विदेश में बैठकर ठगी की वारदात करते हैं। ऐसे में इनके आईपी एड्रेस भी देश के बाहर के होते हैं। इसके बावजूद तकनीक के आधार पर मुख्य मुल्जिम को पकडने की कोशिश की जाती है। इस दौरान अदालत ने केन्द्र सरकार के एएसजी भरत व्यास को बुलाकर कहा कि वे बताए कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए केन्द्र सरकार की ओर से क्या उपाय किए गए हैं। वहीं ऐसे कौन से उपाय किए जाए कि साइबर ठगी बंद हो। इस पर एएसजी और डीजीपी की ओर से कहा कि वे इस संबंध में तीन नवंबर तक विस्तृत रिपोर्ट पेश कर देंगे।
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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक