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नैनीताल, 28 अक्टूबर (हि.स.)। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने उत्तराखंड के विभिन्न सरकारी विभागों में उपनल व अन्य आउटसोर्सिंग एजेंसियों के माध्यम से कार्यरत कर्मचारियों को नियमित किए जाने के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई के बाद पूर्व में दिए गए निर्देशों का हवाला देते हुए राज्य सरकार को ऐसे कर्मचारियों के नियमितीकरण के मामले में प्राथमिकता से निर्णय लेने को कहा। कोर्ट ने निदेशक पुनर्वास को याचिकाकर्ताओं के प्रत्यावेदन पर विचार करने के निर्देश दिए हैं। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि हाई कोर्ट की खंडपीठ पहले ही राज्य सरकार को आउटसोर्स और उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण पर विचार करने का सुझाव दे चुकी है। फिलहाल यह प्रस्ताव राज्य कैबिनेट के समक्ष विचाराधीन है और इस पर अंतिम निर्णय लिया जाना बाकी है।
वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार टिहरी निवासी सुबोध कुरियाल सहित अन्य कर्मचारियों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। जो वर्ष 2013 से पुनर्वास विभाग में आउटसोर्स एजेंसी के माध्यम से कार्यरत हैं। याचिका में कहा कि वे पिछले 12 वर्षों से मात्र 1700 रूपये के मानदेय पर काम कर रहे हैं जबकि उनसे विभाग का पूरा कार्य लिया जा रहा है। कर्मचारियों का कहना था कि वे इस पद के लिए सभी आवश्यक योग्यता रखते हैं और कई बार नियमितीकरण के लिए विभाग को आवेदन दे चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। पूर्व में हाईकोर्ट की खंडपीठ ने आदेश दिया था कि वर्ष 2013 से कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारियों के नियमितीकरण पर राज्य सरकार चार माह के भीतर निर्णय ले। हालांकि, निर्धारित समय बीत जाने के बाद भी सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। कोर्ट ने निदेशक पुनर्वास को याचिकाकर्ताओं के प्रत्यावेदन पर विचार करने के निर्देश दिए हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / लता