सूचना क्रांति का प्रयाेग कर स्थानीय उत्पादाें से आत्मनिर्भर हो रही महिलाएं
सूचना क्रांति का प्रयाेग कर स्थानीय उत्पादाें से आत्मनिर्भर हो रही महिलाएं


-केदारनाथ यात्रा में किया महिला समूहाें ने 25 लाख रुपये का काराेबार

-चाैलाई के लड्डू, जूट के बैग के साथ बेचे अन्य स्थानीय उत्पाद

-प्रसाद सहित जूट के बैग की हुई खूब बिक्री

रुद्रप्रयाग, 27 अक्टूबर (हि.स.)। सूचना क्रांति का कैसे बेहतर उपयोग हो सकता है, यह रुद्रप्रयाग जनपद के जखोली ब्लॉक के मेदनपुर गांव की महिलाओं ने साबित किया है। केदारनाथ प्रसाद से जुड़ी इन महिलाओं ने प्रसाद की बिक्री ऑनलाइन कर नई मिसाल पेश की।

इन समूह ने अन्य के साथ मिलकर केदारनाथ यात्रा में 25 लाख रुपये का काराेबार किया, जिसमें 3 लाख रुपये ऑनलाइन बिक्री शामिल है।रुद्रप्रयाग जनपद के जखाेली ब्लाॅक का मेदनपुर गांव को खेतीबाड़ी, सब्जी उत्पादन और दुग्ध उत्पादन के लिए माना जाता है। यहां के अधिकांश परिवार रोजगार के साथ खेतीबाड़ी और पशुपालन से भी जुड़े हुए हैं। गांव का गंगा दुग्ध समूह से जुड़ी महिलाओं ने नई उपलब्धि हासिल की है। इस वर्ष केदारनाथ प्रसाद से समहू ने अन्य के साथ मिलकर 13 लाख रुपये का कारोबार किया है। वहीं, समूह ने प्रसाद की ऑनलाइन बिक्री के लिए वेबसाइट www.kedarnathprasadproject.com बनाई, जिसकी मदद से समूह काे केदारनाथ प्रसाद के साथ ही जूट के बैग के 2000 से अधिक आर्डर मिले।

समूह की सलाहकार कंचन सजवाण ने बताया कि गंगा दुग्ध उत्पादक समूह के साथ पांच अन्य समूह की कुल 50 से अधिक महिलाओं ने काम किया। वर्ष 2019 से यह सभी समूह एक साथ केदारनाथ यात्रा में प्रसाद बनाने का काम करते आ रहे हैं। इस बार यात्रा शुरू होते ही प्रसाद की बिक्री ऑफलाइन के साथ ऑनलाइन करने का निर्णय लिया गया। जून में वेबसाइट बनकर तैयार हुई, जिसके बाद प्रसाद और अन्य उत्पादों की बिक्री शुरू की गई। अभी तक उत्तराखंड के साथ ही दिल्ली, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र सहित अन्य जगहों से प्रसाद और जुट बैग के आर्डर मिले। सभी ऑडर तय तिथि तक संबंधित काे काेरियर से भेजे गए, जाे उन्हें प्राप्त हाे चुके थे। समूह की अध्यक्ष घुंघरा देवी का कहना है कि केदारनाथ प्रसाद से जोड़ने से गांव की कई महिलाओं की आ​र्थिकी को बल मिला है।

दूसरी तरफ अगस्त्यमुनि ब्लॉक के कई समूह ग्रामोत्थान परियोजना के तहत केदारनाथ सोविनियर (मंदिर के प्रतीक) से भी 12 लाख का करोबार कर चुके हैं। वर्ष 2019 में महिलाओं को केदारनाथ यात्रा से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाने की पहल की गई थी। तब, स्थानीय उत्पादों से केदारनाथ का प्रसाद तैयार करने की जिम्मेदारी भी महिला समूहों का दी गई थी, जो सफल रही। बीते छह वर्षों से ग्राम स्तर पर महिलायें समूहों का गठन कर केदारनाथ यात्रा के लिए प्रसाद के साथ मंदिर के प्रतीक भी तैयार कर रही हैं। इस कार्य से महिलाओं को जहां रोजगार मिल रहा है, वहीं उनकी आजीविका भी मजबूत हो रही है। ग्रामोत्थान परियोजना के तहत चंदनगंगा आजीविका स्वायत्त सहकारिता द्वारा ईष्ट घंडियाल उत्पादक समूह बडेथ के साथ सामुदायिक आधारित उद्यम स्थापित किया गया है। इस उद्यम का संचालन अगस्त्यमुनि में सरल केंद्र में किया जा रहा है, जहां महिलायें केदारनाथ मंदिर के सोविनियर (प्रतीक) तैयार कर रही हैं।

समूह में 15 महिलायें शामिल हैं कंप्यूटराईज्ड मशीनों से तैयार डिजायन के अलग-अलग हिस्सों को जोड़कर अलग-अलग माप के सोविनियर तैयार कर उसे सजावट से आकर्षक बनाई। महिलाओं ने करीब 22 हजार प्रतीक बनाये, जिनकी ऑनलाइन व ऑफलाइन ब्रिकी की गई।

ग्राम स्तर पर केदारनाथ यात्रा से जुड़े व अन्य समूहों को हर संभव मदद की जा रही है। इस साल यात्रा में महिला समूहाें ने अच्छा कार्य किया है। मुख्य विकास अधिकारी राजेंद्र सिंह रावत ने बताया कि आगामी यात्रा से पहले महिलाओं को उच्च स्तरीय प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, जिससे उनके द्वारा तैयार किये जा रहे उत्पाद को राष्ट्रीय बाजारों में भी पहचान मिल सके।

हिन्दुस्थान समाचार / दीप्ति