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हंदवाड़ा, 25 अक्टूबर (हि.स.)। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हंदवाड़ा की अदालत ने पूर्व पुलिसकर्मी मुश्ताक अहमद पीर पुत्र अब्दुल अहद पीर निवासी कलमूना तरथपोरा को मादक पदार्थों की तस्करी और जाली मुद्रा रखने के एक लंबे समय से चले आ रहे मामले में दोषी ठहराया। अदालत ने कई वर्षों तक चली विस्तृत सुनवाई के बाद पीर को नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम की धारा 8/21 और रणबीर दंड संहिता की धारा 489-सी के तहत दोषी पाया।
यह मामला 12 जुलाई, 2019 की एक घटना से जुड़ा है जब हंदवाड़ा के वटायेन में तैनात एक पुलिस दल ने पंजीकरण संख्या जेके01ट-1178 वाली एक सैंट्रो कार को रोका। वाहन को आरोपी चला रहा था जो उस समय जम्मू-कश्मीर पुलिस विभाग में कार्यरत था। तलाशी के दौरान पुलिस को कार के एयर फिल्टर के अंदर छिपा हुआ ब्राउन शुगर जैसा पदार्थ वाला एक पैकेट मिला। बाद में एफएसएल जाँच में हेरोइन होने की पुष्टि हुई और इस प्रतिबंधित सामग्री का वज़न लगभग 750 ग्राम था।
पीर से पूछताछ के बाद एक और खुलासा हुआ जिसके बाद कलमूना स्थित उसके घर पर छापा मारा गया जहाँ से 40 ग्राम हेरोइन और लगभग साढ़े सात लाख रुपये की नकली मुद्रा बरामद की गई। मनोरंजन बैंक और चिल्ड्रन बैंक ऑफ़ इंडिया लिखे नकली नोट बिस्तर के नीचे रखे हुए पाए गए।
अभियोजन पक्ष ने 21 गवाहों से पूछताछ की जिनमें जाँच अधिकारी, कांस्टेबल और ज़ब्त किए गए पदार्थ के नमूने लेने की निगरानी करने वाले कार्यकारी मजिस्ट्रेट शामिल थे। गवाहों के बयान, ज़ब्ती ज्ञापन और फ़ोरेंसिक रिपोर्ट ने सामूहिक रूप से साक्ष्यों की श्रृंखला स्थापित की जिससे संदेह की कोई गुंजाइश नहीं रही। हालाँकि, बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि तलाशी में स्वतंत्र गवाहों का अभाव था और कथित प्रकटीकरण बयान अभियुक्त की हिरासत में रहते हुए प्राप्त किया गया था लेकिन अदालत ने आधिकारिक गवाही और दस्तावेज़ी सबूतों की एकरूपता का हवाला देते हुए इन तर्कों को खारिज कर दिया।
अपने फैसले में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने अभियुक्त के आचरण को कर्तव्य और जनता के विश्वास का गंभीर उल्लंघन बताया और इस बात पर ज़ोर दिया कि मादक पदार्थों की तस्करी और नकली मुद्रा के प्रसार में लिप्त एक पुलिस अधिकारी कानून प्रवर्तन की निष्ठा को कमज़ोर करता है। अदालत ने दोनों आरोपों में पीर को बिना किसी संदेह के दोषी पाया और तदनुसार उसे दोषी ठहराया।
सज़ा जल्द ही सुनाई जाने की संभावना है, अदालत ने संकेत दिया कि एनडीपीएस अधिनियम के तहत अपराध के लिए कड़ी सज़ा का प्रावधान है।
हिन्दुस्थान समाचार / सुमन लता