ब्राह्मणों की जीविका का हरण समाज के लिए घोर अधर्म: पं. निर्मल कुमार शुक्ल
श्रीमद्भागवत महापुराण कथा का छाया चित्र


प्रयागराज, 15 अक्टूबर (हि.स.)। ब्राह्मण की जीविका का हरण संसार का सबसे बड़ा विष है। कुछ लोग पाखंड का व्यापार कर धर्म को धंधा बना रहे हैं और ब्राह्मणों की वृत्ति को समाप्त करना चाहते हैं। यह अत्यंत गंभीर अधर्म है, जो समाज में नैतिक पतन का कारण बनता है। यह बात बुधवार को प्रयागराज के नीबी लोहगरा में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं समाजसेवी पं. जंगी राम दूबे की पावन स्मृति में चल रही श्रीमद्भागवत महापुराण कथा का सातवाँ और समापन दिवस के मौके पर कथा के मानस महारथी पं. निर्मल कुमार शुक्ल ने कहा।

पं. शुक्ल ने आगे कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा है कि जो व्यक्ति ब्राह्मणों का धन छल, कपट या बलपूर्वक छीनता है, वह घोर नरक में गिरकर भयंकर यातनाएं भोगता है और तीन पीढ़ियों में अपने वंश का अंत स्वयं देख लेता है। तुलसीदास जी ने भी रामचरितमानस में इस सत्य का समर्थन करते हुए ब्राह्मण सेवा को सर्वोच्च धर्म बताया है। कथावाचक ने मुख्य यजमान अमर नाथ दुबे एवं कांती दुबे के साथ श्रोताओं को सुदामा चरित्र, सुभद्रा हरण, परीक्षित मोक्ष कथा और विश्राम ग्रंथ पूजन का भावपूर्ण वर्णन किया। उन्होंने कहा कि ब्राह्मण समाज के संरक्षण में ही धर्म, संस्कृति और सनातन परम्परा की निरंतरता संभव है।

समापन दिवस पर बारा के पूर्व विधायक एवं सचेतक इं. उदय भान करवरिया को व्यासपीठ से अंगवस्त्रम् ओढ़ाकर आशीर्वाद प्रदान किया गया। इस अवसर पर भाजपा जिला मीडिया प्रभारी दिलीप कुमार चतुर्वेदी, जितेन्द्र शुक्ला, पूर्व ब्लाक प्रमुख यज्ञ नारायण मिश्र, महेंद्र कुमार शुक्ला, घनश्याम चतुर्वेदी, राम शिरोमणि शुक्ला, नित्यानंद उपाध्याय, कुंजन लाल मिश्रा, चंद्रमणि मिश्रा, दीनानाथ त्रिपाठी, वीरेंद्र दुबे, श्रीं कांत तिवारी, रिंकू मिश्र, उग्रसेन द्विवेदी, नवनीत मिश्र सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे। आयोजक समिति के पं.भोलानाथ दूबे, अभय शंकर दूबे, हृदय शंकर दूबे, अमिय शंकर दूबे, अनिय शंकर दूबे आदि सभी भक्तों को प्रसाद वितरण के भक्ति रसपान के लिए सभी का आभार व्यक्त किया।

हिन्दुस्थान समाचार / रामबहादुर पाल