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गुवाहाटी, 15 अक्टूबर (हि.स.)। असम प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मुख्यालय अटल बिहारी वाजपेयी भवन से जारी एक बयान में पार्टी प्रवक्ता कल्याण गोगोई ने कहा कि आज़ादी के बाद लंबे समय तक देश में कांग्रेस का शासन रहा, लेकिन उन दशकों में असम के चाय बागान मजदूरों और श्रमिक समुदायों के जीवन स्तर, स्वास्थ्य, शिक्षा, मजदूरी और सांस्कृतिक विकास में कोई ठोस सुधार नहीं हुआ। कांग्रेस को पीढ़ियों तक राजनीतिक समर्थन देने के बावजूद चाय जनजाति के लोग विकास से वंचित रहे।
गोगोई ने कहा कि भाजपा के सत्ता में आने के बाद ही इन समुदायों के सर्वांगीण विकास और सांस्कृतिक उन्नति के ठोस कदम उठाए गए। इसी क्रम में 24 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में गुवाहाटी के सरुसजाई स्टेडियम में ‘झूमुर बिनन्दिनी’ कार्यक्रम के दौरान राज्य के विभिन्न चाय बागानों से आए 8,888 युवक-युवतियों ने पारंपरिक झूमुर नृत्य प्रस्तुत किया, जिसने प्रधानमंत्री सहित पूरे विश्व को मंत्रमुग्ध कर दिया।
मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने उस अवसर पर घोषणा की थी कि इस प्रस्तुति में शामिल सभी कलाकारों को प्रोत्साहन स्वरूप एकमुश्त आर्थिक सहायता दी जाएगी। इस सहायता का वितरण कल, 16 अक्टूबर को खानापाड़ा के कॉलेज ऑफ वेटरनरी साइंस ग्राउंड में मुख्यमंत्री की उपस्थिति में किया जाएगा।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस शासनकाल में राज्य सरकार ने प्लांटेशन एक्ट का हवाला देकर चाय बागानों में सड़क, पुलिया, स्कूल, सामुदायिक भवन और प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी योजनाओं के क्रियान्वयन को रोक रखा था। लेकिन 2014 में नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद इन प्रशासनिक बाधाओं को समाप्त किया गया और विकास की धारा गांव, कस्बों और चाय बागानों तक समान रूप से पहुंची। भाजपा सरकार ने बिना अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) के भी योजनाओं को लागू करने की सुविधा दी, जिसके परिणामस्वरूप आज चाय बागानों में पक्की सड़कें, पीएमएवाई के अंतर्गत मकान और मॉडल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय स्थापित हुए हैं।
गोगोई ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत चाय बागान श्रमिक लाइनों में बिजली कनेक्शन पहुंचाए गए, जो कांग्रेस के राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के दौरान कभी संभव नहीं हो सका। भाजपा सरकार ने प्रत्येक परिवार को अलग मीटर उपलब्ध कराकर मजदूरों को अत्यधिक बिजली कटौती से राहत दी।
उन्होंने बताया कि हितेश्वर सैकिया और तरुण गोगोई के शासनकाल में मात्र 60 चाय बागान पृष्ठभूमि के युवाओं को राजनीतिक सिफारिश पर शिक्षक नियुक्ति मिली थी, जबकि भाजपा सरकार ने अब सरकारी नौकरियों में तीन फीसदी आरक्षण देकर सैकड़ों योग्य युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान किए हैं।
जनजातीय (एसटी) दर्जे की मांग को लेकर भी भाजपा सरकार ने ठोस प्रगति की है। 96 समुदायों में से 36 को पहले ही भारत के रजिस्ट्रार जनरल (आरजीआई) की मंजूरी मिल चुकी है। भाजपा सरकार के कार्यकाल में 2022 में हुए बीटीआर शांति समझौते से आठ उग्रवादी संगठनों के सदस्य मुख्यधारा में लौटे और क्षेत्र में स्थायी शांति स्थापित हुई।
कांग्रेस शासन के लगभग छह दशकों में चाय मजदूरों की दैनिक मजदूरी 137 रुपये तक ही पहुंच पाई, जबकि भाजपा सरकार के नौ वर्षों में यह बढ़कर 250 रुपये हो गई है। ‘बसुंधरा योजना’ के तहत चाय जनजाति और आदिवासी परिवारों को भूमि स्वामित्व के पट्टे भी दिए जा रहे हैं।
इसके अलावा 7.5 लाख से अधिक चाय बागान श्रमिकों के व्यक्तिगत बैंक खाते खोले गए हैं, जिससे उन्हें प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) का फायदा मिल रहा है। सरकार ने चाय उद्योग के 200 वर्ष पूरे होने के अवसर पर सभी श्रमिकों को नकद पुरस्कार देने की भी घोषणा की है।
राज्य सरकार ने चाय बागान क्षेत्रों में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया है। 649 एम्बुलेंस चाय बागान अस्पतालों में तैनात की गई हैं और गर्भवती महिलाओं को 15,000 रुपये की सहायता दी जा रही है। 354 चाय बागानों को ‘आयुष्मान आरोग्य मंदिर’ में परिवर्तित किया गया है, जहां एनीमिया, कुपोषण और अन्य बीमारियों का इलाज किया जाता है।
साथ ही, बाल विवाह रोकथाम और सिकल सेल रोग नियंत्रण के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। आयुष्मान भारत कार्ड, अटल अमृत कार्ड और राज्य आयुष्मान योजना के माध्यम से प्रति रोगी पांच लाख रुपये तक का निःशुल्क उपचार सुनिश्चित किया गया है।
गोगोई ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा के नेतृत्व में राज्य सरकार असम के आदिवासी और चाय जनजाति समुदायों के सर्वांगीण कल्याण, उत्थान और प्रगति के प्रति पूर्णतः समर्पित है।
हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश