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छत्तीसगढ़ के ‘मिनी शिमला’ में सर्दी से पहले ही उमड़ा सैलाब
अंबिकापुर, 14 अक्टूबर (हि.स.)। सूरज की पहली किरण जब मैनपाट की पहाड़ियों पर बिखरती है, तो ऐसा लगता है मानो धरती पर स्वर्ग उतर आया हो। चारों ओर फैली हरियाली, देवदार और साल के घने जंगलों से आती ठंडी हवा, झरनों की कलकल ध्वनि और बादलों की धुंधली चादर—यह सब अंबिकापुर के मैनपाट की रौनक को बहुत आकर्षक बनाते हैं। यह वही मैनपाट है जिसे लोग प्यार से छत्तीसगढ़ का ’मिनी शिमला’ कहते हैं। सर्दियों से पहले ही यहां देशभर से पर्यटक पहुंचने लगे हैं, जिससे न सिर्फ इलाके की रौनक बढ़ी है बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी नई ऊर्जा मिली है।
मैनपाट की पहचान और बढ़ता आकर्षण
अंबिकापुर से करीब 75 किलोमीटर दूर स्थित मैनपाट समुद्र तल से लगभग 1100 मीटर की ऊंचाई पर बसा है। यह सरगुजा अंचल का सबसे सुंदर और शांत पर्यटन स्थल माना जाता है। यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल टाइगर पॉइंट, जलजली, बीर मठ, सरभंजा झरना, दारोगा पहाड़, मछली पॉइंट हर साल हजारों पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
हाल के वर्षों में रोड कनेक्टिविटी और होमस्टे सुविधाओं के सुधरने से मैनपाट अब छत्तीसगढ़ के बाहर से भी सैलानियों की पहली पसंद बनता जा रहा है।
मैनपाट अब छत्तीसगढ़ का पर्यटन केंद्र बन रहा है
पर्यटन विभाग के सहायक संचालक, अंबिकापुर डी.के. चतुर्वेदी ने बताया कि, इस सीजन में अब तक करीब 25 हजार से अधिक पर्यटक मैनपाट का भ्रमण कर चुके हैं। राज्य सरकार की नई पर्यटन नीति के तहत मैनपाट को प्रमुख हिल स्टेशन के रूप में विकसित किया जा रहा है। सड़क, पार्किंग, सूचना केंद्र, और स्थानीय हस्तशिल्प बाज़ार को उन्नत करने पर काम चल रहा है। आने वाले महीनों में यहां पैराग्लाइडिंग और ट्रैकिंग ट्रेल्स भी शुरू करने की योजना है।”
उन्होंने आगे कहा कि हमारा प्रयास है कि मैनपाट केवल प्राकृतिक सुंदरता का केंद्र न रहे, बल्कि यह स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार का अवसर भी बने।
स्थानीय लोगों की आवाज़: पर्यटन से बदल रही ज़िंदगी
मैनपाट के ग्राम कमलेश्वरपुर निवासी रामलाल खैरवार, जो पिछले पाँच सालों से एक छोटा होमस्टे चला रहे हैं, कहते हैं कि पहले यहां केवल त्योहारों या गर्मियों की छुट्टियों में लोग आते थे, लेकिन अब सालभर पर्यटक आते हैं। हमारे गांव के कई युवाओं ने गाइड, फूड स्टॉल और बाइक रेंटिंग का काम शुरू किया है। अब रोजगार के लिए बाहर नहीं जाना पड़ता।”
वहीं स्थानीय बौद्ध समुदाय के सदस्य ग्यालजेन भूटिया ने बताया, मैनपाट का तिब्बती मठ देशभर के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। इस जगह की शांति और अनुशासन लोगों को भीतर तक छू जाता है।
पर्यटकों का अनुभव: यहां की हवा में जादू है
रायपुर से आई पर्यटक रीता शर्मा बताती हैं कि यह मेरी पहली ट्रिप है मैनपाट की, और मुझे ऐसा लग रहा है जैसे हम किसी विदेशी हिल स्टेशन पर हों। यहां की हवा में जादू है—साफ-सुथरा माहौल, झरने, और लोगों की सादगी सब कुछ मन को छू जाता है।
मैनपाट की प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत
इस मैनपाट की खासियत सिर्फ उसकी प्राकृतिक सुंदरता में नहीं, बल्कि उसकी विविध संस्कृति में भी है। यहां तिब्बती समुदाय के मठ, आदिवासी परंपराएं, और छत्तीसगढ़ी लोकसंस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
यहां के जलजली मैदान की उछलती जमीन हो या टाइगर पॉइंट का रोमांचक व्यू, हर जगह एक कहानी छिपी है। जो आने वाले हर पर्यटक को कुछ नया एहसास कराती है।
“मैनपाट : जहां प्रकृति बोलती है और दिल ठहर जाता है”
मैनपाट अब सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं रहा, बल्कि यह छत्तीसगढ़ की पहचान बन चुका है। यहां की शांत वादियाँ, सरल लोग और स्वच्छ पर्यावरण यह संदेश देते हैं कि विकास और प्रकृति एक साथ चल सकते हैं।
अगर सरकार और स्थानीय समुदाय इसी सामंजस्य से आगे बढ़ते रहे, तो आने वाले वर्षों में मैनपाट न केवल राज्य, बल्कि देश का प्रमुख पर्यटन गंतव्य बन सकता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / विष्णु पांडेय