कर्नाटकः बाढ़ से बेघर 16 परिवारों को जमीयत अध्यक्ष मदनी ने सौंपी मकानों की चाभियां
- जमीयत उलेमा हिंद के अध्यक्ष ने कहा-देश में सत्ता के लिए हो रही है नफ़रत की राजनीति मैसूर/नई दिल्ली,
Maulana Arshad Madni Handed over keys 


- जमीयत उलेमा हिंद के अध्यक्ष ने कहा-देश में सत्ता के लिए हो रही है नफ़रत की राजनीति

मैसूर/नई दिल्ली, 18 सितंबर (हि.स.)। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कर्नाटक के मैसूर से सटे गोडागो के सदापुर में अयोजित एक कार्यक्रम में पिछले साल आई विनाशकारी बाढ़ में बेघर हुए 30 परिवारों में से 16 परिवारों को नवनिर्मित मकानों की चाभियां सौंपीं। इनमें कुछ गैर मुस्लिम परिवार भी हैं।

इस अवसर पर उन्होंने दावा किया कि भारत में इस्लाम हमलावरों के जरिये नहीं बल्कि अरब के मुस्लिम व्यापारियों के जरिये आया। उनके चरित्र एवं कर्म को देखकर लोग प्रभावित हुए और उन्होंने किसी डर एवं लालच के बिना इस्लाम को स्वीकार किया था। उन्होंने कहा कि भारत में मुसलमान सौ या दो सौ साल से नहीं बल्कि 1300 वर्ष से आबाद हैं। इतिहासकार इस बात पर सहमत हैं कि भारत और अरब के बीच इस्लाम के आगमन से पूर्व व्यापारिक सम्बंध रहे हैं लेकिन इस्लाम के आगमन के बाद कुछ मुस्लिम व्यापारी अरब से कश्तियों द्वारा केरल पहुंचे और यहीं आबाद हो गए। उनके पास कोई सेना और शक्ति नहीं थी बल्कि यह उनका चरित्र और नैतिकता ही थी जिससे प्रभावित हो कर यहां के स्थानीय लोगों ने इस्लाम स्वीकार कर लिया। इतिहास की पुस्तकों में केरल के ही कुछ राजाओं का भी उल्लेख मिलता है, जिन्होंने इस्लाम स्वीकार किया।

उन्होंने कहा कि एक राजा के बारे में यह उल्लेख भी है कि उसने जब चांद को दो टुकड़े करने का चमत्कार देखा तो आश्चर्यचकित रह गया। अपने दरबार के ज्योतिषयों से उसने इस बारे में पूछा तो उन्होंने जो कुछ बताया उसे सुनकर उसके दिल में अरब जाकर पैगम्बर मुहम्मद से मिलने की ललक पैदा हुई। इसलिए उसने अपना राजपाट दूसरों की निगरानी में देकर नाव द्वारा अपनी यात्रा का आरंभ किया लेकिन रास्ते में ही उसकी मृत्यु हो गई। केरल में भारत की सबसे प्रथम मस्जिद अब भी मौजूद है।

मौलाना मदनी ने कहा कि मोहम्मद बिन क़ासिम की घटना तो उसके बहुत बाद की है। सिंध में राजा दाहिर की पराजय के बाद जिन लोगों ने मोहम्मद बिन क़ासिम से शरण मांगी, उन्हें शरण दी गई। इसलिए उनमें से बहुत से लोगों ने मुसलमानों के इस व्यवहार से प्रभावित हो कर इस्लाम स्वीकार कर लिया। हम समझते हैं कि यह इस देश की विशेषता है कि पिछले 1300 वर्ष से यहां हिंदू और मुसलमान एक दूसरे के साथ प्रेम और भाईचारे के साथ रहते आए हैं, लेकिन अब कुछ लोग प्रेम और एकता के इस पक्के संबंध को तोड़ देना चाहते हैं। वो नफ़रत और ग़लतफ़हमियों को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि सभी यह बात समझने की जरूरत है कि यह देश एकता और प्रेम से ही आबाद रह सकता है। अगर नफ़रत और टकराव की राजनीति की गई तो फिर यह देश बर्बाद हो जाएगा।

हिन्दुस्थान समाचार/ एम ओवैस/दधिबल