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अररिया 08 सितम्बर(हि.स.)। विश्व फिजियोथेरेपी दिवस पर जाने माने फिजियोथैरेपिस्ट डॉ सौम्य सिद्धार्थ ने तेरापंथ भवन में सोमवार को फिजियोथेरेपी और खानपान को लेकर आमजनों को जागरूक किया।उन्होंने फिजियोथेरेपी दिवस को लेकर बताया कि मूल रूप से उद्देश्य फिजियोथेरेपी के महत्व को समाज तक पहुंचाना और लोगों को यह समझाना कि कैसे नियमित शारीरिक सक्रियता और विशेषज्ञ मार्गदर्शन से जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सकता है।
इस वर्ष के फिजियोथेरेपी के विषय के रूप में उन्होंने बताया कि स्वस्थ वृद्धावस्था में फिजियोथेरेपी और शारीरिक सक्रियता की भूमिका, विशेषकर असहज-निरोध और गिरावट की रोकथाम है।
उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 2050 तक 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की संख्या 2 अरब से भी अधिक हो जाएगी। ऐसे में यह आवश्यक है कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ हम सक्रिय जीवनशैली अपनाएं और अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखें। वृद्धावस्था का अर्थ यह नहीं कि व्यक्ति निर्भर हो जाए या अपनी पसंद-नापसंद छोड़ दे। सही व्यायाम, संतुलित आहार और फिजियोथेरेपी के सहयोग से बुज़ुर्ग भी लंबा, सक्रिय और सुरक्षित जीवन जी सकते हैं।
उन्होंने कहा कि फिजियोथेरेपिस्ट केवल चोट या बीमारी के बाद इलाज ही नहीं करते, बल्कि विशेष व्यायाम योजनाओं के माध्यम से संतुलन, लचीलापन और मांसपेशियों की शक्ति को बढ़ाकर गिरने के खतरे को कम करते हैं।
शोध बताते हैं कि नियमित शक्ति-अभ्यास और शारीरिक सक्रियता कमजोरी के खतरे को लगभग 40 फीसदी तक घटा सकती है।उन्होंने आमजनों से सही व्यायाम पद्धति, नियमित चलना-फिरना और मांसपेशियों की देखभाल व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाए रखने की आवश्यकता करार दिया।
विश्व फिजियोथेरेपी दिवस पर उन्होंने किया कि हम संकल्प लें कि समाज के हर वर्ग तक फिजियोथेरेपी का संदेश पहुंचाएं और विशेषकर बुज़ुर्गों को यह एहसास दिलाएं कि उनका जीवन अभी भी सक्रिय, सुरक्षित और आनंदमय हो सकता है।मौके पर बड़ी संख्या में तेरापंथ फिजियोथेरेपी सेंटर से जुड़े कर्मी और अन्य लोग मौजूद थे।
हिन्दुस्थान समाचार / राहुल कुमार ठाकुर