एनडीए और राजद मे बेचैनी, अलीनगर–गौरा बराम पर मुकेश सहनी की निगाह
दरभंगा 8 सितंबर (हि.स.)।बिहार की सियासत में विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के मुखिया मुकेश सहनी की एनडीए वापसी को लेकर चर्चाओं ने एक बार फिर चुनावी माहौल गरमा दिया है। कहा जा रहा है कि यदि सहनी एनडीए में शामिल होते हैं तो उन्हें दरभंगा जिले की दो प्र
एनडीए और राजद मे बेचैनी, अलीनगर–गौरा बराम पर मुकेश सहनी की निगाह


दरभंगा 8 सितंबर (हि.स.)।बिहार की सियासत में विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के मुखिया मुकेश सहनी की एनडीए वापसी को लेकर चर्चाओं ने एक बार फिर चुनावी माहौल गरमा दिया है। कहा जा रहा है कि यदि सहनी एनडीए में शामिल होते हैं तो उन्हें दरभंगा जिले की दो प्रमुख सीटें—अलीनगर और गौरा बराम—मिल सकती हैं।इस अटकल ने न केवल राजद खेमे, बल्कि खुद एनडीए गठबंधन के भीतर भी बेचैनी बढ़ा दी है।

राजद खेमे की स्थिति

अलीनगर और गौरा बराम सीटें राजद के प्रभाव क्षेत्र मानी जाती रही हैं। यदि एनडीए यहां वीआईपी को मौका देता है तो राजद के पुराने समीकरण बिगड़ सकते हैं। यही वजह है कि राजद के स्थानीय नेता और संभावित उम्मीदवार अब नेतृत्व तक पहुंच बनाने, टिकट सुनिश्चित करने और जातीय समीकरण साधने में जुट गए हैं। टिकट कटने के डर से कई दावेदार असमंजस की स्थिति में हैं।

एनडीए के भीतर की बेचैनी

एनडीए के अंदर भी सबकुछ सहज नहीं है। यदि मुकेश सहनी को दोनों सीटें मिलती हैं, तो भाजपा और जदयू के कई पुराने कार्यकर्ता असंतोष जता सकते हैं। अलीनगर और गौरा बराम दोनों जगह एनडीए के स्थानीय चेहरे वर्षों से सक्रिय रहे हैं। ऐसे में सीटें वीआईपी को सौंपे जाने पर आंतरिक खींचतान और विरोध सामने आ सकता है।

चुनावी असर

सियासी जानकारों का मानना है कि सहनी यदि इन दोनों सीटों से मैदान में उतरते हैं तो मुकाबला त्रिकोणीय हो जाएगा। मल्लाह मतदाताओं पर उनकी पकड़ मजबूत मानी जाती है, जो राजद और एनडीए दोनों दलों की पारंपरिक रणनीति को चुनौती दे सकती है।

फिलहाल स्थिति पूरी तरह से अनिश्चितता और सस्पेंस भरी है, लेकिन इतना तय है कि मुकेश सहनी के एनडीए में जाने की चर्चाओं ने दोनों खेमों—राजद और एनडीए—में बेचैनी की लहर दौड़ा दी है।

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हिन्दुस्थान समाचार / Krishna Mohan Mishra