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नई दिल्ली, 08 सितंबर (हि.स.)। दिल्ली में दंगों की साजिश रचने के आरोपित शरजील इमाम के बाद अब दूसरी आरोपित गुलफिशा फातिमा ने भी उच्चतम न्यायालय में जमानत याचिका दायर की है। शरजील इमाम और गुलफिशा फातिमा दोनों ने दिल्ली उच्च न्यायालय की ओर से जमानत याचिका खारिज करने के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है।
दिल्ली उच्च न्यायालय के जस्टिस नवीन चावला की अध्यक्षता वाली बेंच ने 2 सितंबर को दिल्ली दंगों की साजिश रचने के नौ आरोपितों की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इन आरोपितों में अतहर खान, अब्दुल खालिद सैफी, मोहम्मद सलीम खान, शिफा उर रहमान, मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा और शादाब अहमद हैं। जमानत याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि अगर आरोपित देश के खिलाफ कार्रवाई करें, तो उनके लिए बेहतर जगह जेल ही है। मेहता ने कहा था कि दिल्ली में दंगे पूर्व नियोजित थे। दंगों की जिस तरह से योजना बनाई गई थी वो किसी को जमानत का हक नहीं देता है। ये कोई साधारण अपराध नहीं है, बल्कि सुनियोजित दंगों की साजिश रचने का मामला है। मेहता ने कहा था कि दंगों की साजिश रचने के आरोपित इसका प्रभाव पूरे देश में देखना चाहते थे।
इस मामले के आरोपित उमर खालिद की ओर से कहा गया था कि महज व्हाट्स ऐप ग्रुप का सदस्य होना किसी अपराध में शामिल होने का सबूत नहीं है। उमर खालिद की ओर से पेश वकील त्रिदिप पेस ने दिल्ली पुलिस की ओर से साक्ष्य के तौर पर पेश किए गए व्हाट्स ऐप ग्रुप चैटिंग पर कहा था कि उमर खालिद तीन व्हाट्स ऐप ग्रुप में शामिल जरुर था, लेकिन शायद ही किसी ग्रुप में मैसेज भेजा हो। उन्होंने कहा था कि किसी व्हाट्स ऐप ग्रुप में शामिल होना भर किसी गलती का संकेत नहीं है। उन्होंने कहा था कि उमर खालिद ने किसी के पूछने पर केवल विरोध स्थल का लोकेशन शेयर किया था। फरवरी, 2020 में दिल्ली दंगों में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और काफी लोग घायल हुए थे।
हिन्दुस्थान समाचार/संजय
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हिन्दुस्थान समाचार / अमरेश द्विवेदी