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हमीरपुर की धरती पर विदेशी मेहमानों का डेराहमीरपुर, 8 सितम्बर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड की धरती पर इन दिनों प्रकृति का अद्भुत नजारा देखने को मिल रहा है। सात समुंदर पार कर हजारों किलोमीटर लंबी यात्रा तय करके दुर्लभ प्रजाति के साइबेरियन पक्षियों का दल सोमवार को हमीरपुर जनपद की यमुना और बेतवा नदी के तट पर पहुंचा है। विदेशी मेहमानों की मौजूदगी ने न सिर्फ यहां का प्राकृतिक सौंदर्य बढ़ा दिया है, बल्कि स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए यह नजारा आकर्षण का केंद्र बन गया है।
सुबह और शाम तटीय क्षेत्रों में इन परिंदों का कलरव वातावरण को गुंजायमान कर देता है। कभी पानी में गोते लगाकर मछलियों का शिकार करते हुए, तो कभी अपने पंख फैलाकर उड़ान भरते हुए यह दृश्य मानो किसी चित्रकार की जीवंत कलाकृति जैसा प्रतीत होता है। इनकी अठखेलियां देखने के लिए गांवों से लेकर कस्बों तक के लोग परिवार संग तटों पर जुट रहे हैं। हर कोई अपने मोबाइल कैमरे से इस अनोखी छटा को कैद करने में व्यस्त है। साइबेरियन पक्षियों का यह प्रवास हमीरपुर के लिए सौभाग्य की बात है। इनकी मौजूदगी न केवल प्रकृति प्रेमियों और पर्यटकों के लिए आनंददायक है, बल्कि यह संदेश भी देती है कि अगर हम अपने प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करें, तो धरती पर जैव विविधता को सुरक्षित रखा जा सकता है।
सोमवार को स्थानीय निवासी रामलखन यादव बताते हैं कि हर साल कुछ पक्षी तो आते थे, लेकिन इस बार उनकी संख्या ज्यादा है। सुबह तट पर जाते ही ऐसा लगता है जैसे कोई उत्सव हो रहा हो। वहीं कस्बे की सुमित्रा देवी कहती हैं, बच्चे इन पक्षियों को देखकर बहुत खुश हैं। वे बार-बार स्कूल से लौटकर इन्हें देखने तट पर आ जाते हैं। गांव के युवाओं का कहना है कि साइबेरियन पक्षियों के आने से इलाके की पहचान पूरे देश में हो रही है। वन जीव समिति के सदस्य जलीस खान के अनुसार साइबेरियन पक्षी हर साल सर्दियों में प्रवास यात्रा के तहत भारत आते हैं। साइबेरिया और उत्तरी यूरोप जैसे ठंडे देशों में जब बर्फ जमने लगती है और भोजन की कमी हो जाती है, तब यह परिंदे हजारों किलोमीटर की दूरी तय करके अपेक्षाकृत गर्म इलाकों की ओर रुख करते हैं। यमुना और बेतवा जैसी नदियां इनके लिए भोजन और सुरक्षित आश्रय का उपयुक्त स्थल बन जाती हैं।
कौन-कौन से पक्षी आए हैंडीएफओ एके श्रीवास्तवं के अनुसार इस बार हमीरपुर में साइबेरियन क्रेन, पेंटेड स्टॉर्क, नॉर्दर्न पिंटेल, रेडक्रेस्टेड पुछर्ड और ग्रेलेग गूज जैसी दुर्लभ प्रजातियां देखी गई हैं। इनमें से कुछ प्रजातियां विलुप्ति के कगार पर हैं और उनका यहां तक पहुंचना पर्यावरणीय दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है।
पर्यावरण और पर्यटन की दृष्टि से महत्वडीएफओ एके श्रीवास्तवं का मानना है कि इन विदेशी पक्षियों की मौजूदगी पर्यावरणीय संतुलन का सकारात्मक संकेत है। यह दर्शाता है कि यमुना और बेतवा का जल और तटवर्ती पारिस्थितिकी अभी भी प्रवासी परिंदों के लिए अनुकूल है। यदि इन स्थलों को सुरक्षित और संरक्षित किया जाए तो भविष्य में यह क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बर्ड टूरिज्म का केंद्र बन सकता है।
हिन्दुस्थान समाचार / पंकज मिश्रा