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भुवनेश्वर, 8 सितंबर (हि.स.)। पितरों को समर्पित पखवाड़ा पितृ पक्ष सोमवार से प्रारंभ हुआ, जो 15 दिनों तक चलकर महालय अमावस्या पर संपन्न होगा। इस दौरान श्रद्धालु अपने पूर्वजों को तिलांजलि (तिल तर्पण) और पिंडदान अर्पित कर श्रद्धांजलि देते हैं।
श्रीक्षेत्र पुरी में हजारों श्रद्धालुओं ने महादधि, श्वेतगंगा, मार्कंड, इन्द्रद्युम्न और नरेन्द्र सरोवर जैसे पवित्र जलाशयों पर एकत्र होकर परंपरागत अनुष्ठान संपन्न किए। इसी प्रकार भुवनेश्वर में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु बिंदुसागर पहुंचे और श्रद्धा भाव से पिंडदान किया।
पारंपरिक मान्यता के अनुसार, पितृ पक्ष के दौरान पूर्वजों की आत्माएं पृथ्वी लोक पर आती हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद प्रदान करती हैं। यह पखवाड़ा महालय पर समाप्त होता है और दीपावली के अवसर पर पूर्वजों को विदाई दी जाती है, मान्यता है कि वे अंधकार में आते हैं और प्रकाश में लौट जाते हैं।
आरंभिक दिन पर प्रदेशभर के कई परिवारों ने मंदिरों और पवित्र स्थलों पर श्राद्ध अनुष्ठान कर अपने दिवंगत परिजनों की आत्मा की शांति और मोक्ष की कामना की। पुरोहितों ने बताया कि पितृ पक्ष का यह पर्व पीढ़ियों से आस्था और कृतज्ञता का प्रतीक है, जो पूर्वजों के प्रति स्मरण और पारिवारिक बंधन को सदैव जीवित रखता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुनीता महंतो