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भुवनेश्वर, 8 सितंबर (हि.स.)। ओडिशा आवास एवं शहरी विकास विभाग ने राज्यभर में अनधिकृत और अवैध निर्माणों पर रोक लगाने के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं। यह कदम हाल ही में आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरूप है, जिसमें ऐसे निर्माणों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा गया था।
यह निर्देश सुप्रीम कोर्ट के 17 दिसंबर, 2024 के फैसले के बाद जारी किया गया है, जिसमें अदालत ने स्पष्ट किया था कि स्वीकृत नक्शे का उल्लंघन कर या बिना अनुमोदन के किए गए निर्माण “बर्दाश्त नहीं किए जा सकते।” इसके आधार पर राज्य सरकार ने सभी विकास प्राधिकरणों और स्थानीय निकायों को ओडिशा विकास प्राधिकरण अधिनियम, 1982 और ओडिशा टाउन प्लानिंग एवं इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट अधिनियम, 1956 का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
सूचना के अनुसार, बिल्डरों और डेवलपरों को यह लिखित आश्वासन देना होगा कि इमारत का कब्ज़ा केवल वैध समापन या उपभोग प्रमाणपत्र (कम्प्लीशन/ऑक्युपेशन सर्टिफिकेट) प्राप्त करने के बाद ही दिया जाएगा। स्वीकृत नक्शों की प्रतियां निर्माण स्थलों पर सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करनी होंगी, जबकि स्थानीय निकायों को नियमित निरीक्षण कर आधिकारिक अभिलेख बनाए रखने होंगे। समापन या उपभोग प्रमाणपत्र केवल तभी जारी होंगे जब यह सुनिश्चित हो कि परियोजना स्वीकृत नक्शे के अनुरूप है, और किसी भी विचलन को पहले ठीक करना अनिवार्य होगा।
बिजली, पानी और सीवरेज जैसी सेवाओं के कनेक्शन केवल प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने के बाद ही दिए जाएंगे। अवैध निर्माणों को—चाहे वे आवासीय हों या व्यावसायिक—व्यवसाय और व्यापार लाइसेंस नहीं दिए जाएंगे। इसी तरह, बैंकों और वित्तीय संस्थानों को भी यह सुनिश्चित करने के बाद ही ऋण स्वीकृत करने के निर्देश दिए गए हैं कि भवन के पास वैध समापन प्रमाणपत्र मौजूद है।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुनीता महंतो