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नई दिल्ली, 08 सितंबर (हि.स.)। दिल्ली पुलिस ने सोमवार को अपने पुराने सर्कुलर में संशोधन करते हुए कहा कि दिल्ली की अदालतों में किसी भी पुलिस अधिकारी काथानों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये गवाही नहीं होगी। दिल्ली पुलिस के इस ताजा सर्कुलर के बाद निचली अदालतों के सभी बार एसोसिएशंस के संगठन कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ ऑल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट बार एसोसिएशंस ने बैठक की और हड़ताल वापस लेने का फैसला लिया।
कोआर्डिनेशन कमेटी के सेक्रेटरी अनिल बसोया और चेयरमैन वीके सिंह की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि अदालतों में पुलिसकर्मियों के सशरीर आने की मांगें मान ली गयी हैं, ऐसे में न्यायिक बहिष्कार का फैसला वापस लिया जा रहा है। साेमवार काे ही दिल्ली पुलिस ने अपने पुराने सर्कुलर में संशोधन करते हुए कहा कि दिल्ली की अदालतों में किसी भी पुलिस अधिकारी का पुलिस थानों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये गवाही नहीं होगी।
दिल्ली में वकीलों ने पुलिस थानों से ही वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये गवाही देने के अनुमति देने के उप-राज्यपाल के नोटिफिकेशन के खिलाफ करीब एक सप्ताह का न्यायिक बहिष्कार का आंदोलन किया था। वकीलों का आंदोलन न केवल कोर्ट परिसर में किया गया, बल्कि ये सड़कों पर भी देखा गया। वकीलों ने कई स्थानों पर उप-राज्यपाल का पुतला भी जलाया था। तब बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के चेयरमैन और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्यसभा सदस्य मनन मिश्रा ने वकीलों से हड़ताल वापस लेने की अपील की थी।
दिल्ली की निचली अदालतों के सभी बार एसोसिएशंस के संगठन कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ ऑल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट बार एसोसिएशंस ने 6 सितंबर को बैठक कर मनन मिश्रा के आग्रह काे अस्वीकार करते हुए 8 सितंबर से फिर न्यायिक बहिष्कार आंदोलन शुरू करने का ऐलान किया था। मनन मिश्रा ने कोआर्डिनेशन कमेटी को बीसीआई और बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (बीसीडी) के साथ संयुक्त बैठक में 8 सितंबर को आमंत्रित किया था। मनन मिश्रा ने तीन पेज का पत्र लिखकर कहा था कि उक्त बैठक में इस संबंध में स्पष्टीकरण दिया जाएगा। साथ ही उन्हाेंने कहा था कि बार को लोगों की नजर में मजाक का पात्र नहीं बनना चाहिए। छोटी-छोटी बातों को लेकर हड़ताल से बचना चाहिए।
इसके पूर्व 28 अगस्त को दिल्ली पुलिस का एक पत्र आया था, जिसमें कहा गया था कि इस मसले पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से वकीलों के प्रतिनिधियों की बात होगी और तब तक पुलिस ठिकानों से वीडियो कांफ्रेंसिंग नहीं होगी। उसके बाद अमित शाह और वकीलों के प्रतिनिधियों के बीच 2 सितंबर को बातचीत भी हुई थी। वकील नेताओं के मुताबिक उस बैठक में अमित शाह ने भरोसा दिया था कि अभी पुलिसकर्मियों की गवाही कोर्ट रूम में सशरीर ही होगी।
इस बीच, 4 सितंबर को दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर क्राइम देवेश चंद्र श्रीवास्तव ने दिल्ली की सभी निचली अदालतों और उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार को पत्र की प्रति भेजी है, जिसमें कहा गया था कि पुलिस थानों से केवल औपचारिक पुलिस गवाह की गवाही वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये करायी जाएगी। पत्र में कहा गया था कि औपचारिक पुलिस गवाह के अलावा जो ठोस गवाह होंगे उनकी गवाही कोर्ट रुम में सभी पक्षों से बातचीत के बाद करायी जा सकती है।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि इससे मामलों के तेजी से निपटाने में मदद मिलेगी और गवाहों के बयान जल्द दर्ज करने में मदद मिलेगी। पत्र में आगे कहा गया था कि अगर बचाव पक्ष के वकील किसी पुलिस गवाह का सशरीर बयान दर्ज करने की मांग करते हैं, तो उस पर कोर्ट फैसला करेगा। पत्र में कहा गया था कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 530 के मुताबिक सभी गवाही इलेक्ट्रॉनिक तरीके से कराने के प्रावधान का पालन हो सकेगा और न्याय व्यवस्था को सुचारु रुप से चलाने में मदद मिलेगी। दिल्ली पुलिस की ओर से पत्र जारी होने के बाद कोआर्डिनेशन कमेटी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ हुई वार्ता में दिए गए आश्वासन का उल्लंघन बताते हुए न्यायिक बहिष्कार का आह्वान किया था।
हिन्दुस्थान समाचार/संजय
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हिन्दुस्थान समाचार / अमरेश द्विवेदी