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कोलकाता, 08 सितम्बर (हि.स.) कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सोमवार को गोपाल मुखर्जी उर्फ गोपाल पाठा के पोते शांतनु मुखर्जी की फिल्म ‘द बंगाल फाइल्स’ की रिलीज पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा ने सुनवाई में कहा कि याचिका केवल केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) की ओर से सूचना के अधिकार (आरटीआई) आवेदन पर जवाब न देने को आधार बनाकर दायर की गई थी, इसलिए यह विचारणीय नहीं है। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यहां से इसे खारिज किया जाता है।
शांतनु मुखर्जी का आरोप है कि फिल्म में उनके दादा को गलत तरीके से दिखाया गया है। उनका कहना है कि गोपाल पाठा को “पाठा” (बकरी) और “कसाई” जैसे शब्दों से संबोधित करना उनकी छवि को धूमिल करता है और उनकी विरासत का अपमान है। गोपाल पाठा 1946 में डायरेक्ट एक्शन डे के बाद हुए साम्प्रदायिक दंगों के समय मध्य कोलकाता के हिन्दू इलाकों की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए जाने जाते हैं।
याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि उन्होंने फिल्म निर्माता को पहले कानूनी नोटिस भेजा था, कई प्राथमिकी दर्ज कराई थी और सीबीएफसी से आरटीआई के जरिए जानकारी भी मांगी थी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। उनकी याचिका में आपत्तिजनक दृश्यों को हटाने या संशोधित करने और पश्चिम बंगाल में फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग की गई थी। उन्होंने सीबीएफसी की भूमिका की स्वतंत्र जांच की मांग भी उठाई थी। उनका कहना था कि फिल्म के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री स्वयं बोर्ड के सदस्य हैं, इसलिए उन्हें इस फिल्म से जुड़े फैसलों से अलग रहना चाहिए था।
उच्च न्यायालय ने इन सभी तर्कों को अस्वीकार करते हुए साफ कर दिया कि फिल्म की रिलीज पर कोई रोक नहीं लगेगी।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर