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पश्चिमी सिंहभूम, 3 सितंबर (हि.स.)। आठ सितंबर 1980 के गुआ गोलीकांड की बरसी के मौके पर इस वर्ष भी गुआ में शहीद दिवस का आयोजन किया जाएगा। इस अवसर से पहले बुधवार को पत्रकारों से विशेष बातचीत में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) सरकार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर जमकर निशाना साधा।
पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि गुआ जैसे खनन क्षेत्र में आज भी लोग बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार सिर्फ लाशों पर राजनीति कर रही है, शहीदों के परिजनों को पूछने वाला कोई नहीं है। उन्होंने सवाल उठाया कि गुआ के लोग आज भी शुद्ध पीने के पानी और रोजगार जैसी मूलभूत ज़रूरतों से जूझ रहे हैं, जबकि सरकार दावा करती है कि वह आदिवासियों की हितैषी है।
मधु कोड़ा ने दावा किया कि क्षेत्र में लगभग 40 माइंस वर्षों से बंद पड़ी हैं और झामुमो सरकार बनने के बाद एक भी नई माइंस शुरू नहीं हुई। उन्होंने कहा कि जिस इलाके ने खनिज संपदा के बूते राज्य और देश की अर्थव्यवस्था को संबल दिया, आज वहीं के लोग बेरोजगारी और बदहाली के शिकार हैं।
मुंडा-मानकी और आदिवासी समाज के लोगों को डराने की घटनाओं पर भी कोड़ा ने सख्त प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा जिन आदिवासियों की संस्कृति और परंपरा की रक्षा का दंंभ झामुमो भरती है, उनकी मांगों को लेकर जब वे आवाज़ उठाते हैं, तो धमकाया जाता है। यह सरकार आदिवासियों की नहीं, बल्कि ठेकेदारों और दलालों की है।
जब श्री कोड़ा से अवैध खनन (इलीगल माइनिंग) पर सवाल किया गया, तो उन्होंने सीधा आरोप लगाया कि पूरा अवैध खनन सरकार के संरक्षण में चल रहा है। उन्होंने बालू चोरी से लेकर लौह अयस्क की तस्करी तक को झामुमो की मौन सहमति का परिणाम बताया।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि गुआ शहीदों की कुर्बानी का राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश हो रही है, जबकि स्थानीय जनता की समस्याओं की कोई सुध नहीं ली जा रही। उन्होंने कहा कि झामुमो सरकार जनता की नहीं, खदान माफियाओं की सरकार बन चुकी है। शहीदों की कुर्बानी और गुआ की बदहाली इनकी राजनीति का असली चेहरा उजागर करती है।
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हिन्दुस्थान समाचार / गोविंद पाठक