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कोलकाता, 03 सितंबर (हि.स.)। खेजुरी में हुई रहस्यमयी दोहरे हत्याकांड जैसी मौत के मामले में बुधवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने गंभीर सवाल खड़े किए और जांच एजेंसियों को अहम दिशा-निर्देश दिए। न्यायमूर्ति देवांशु बसाक और न्यायमूर्ति मोहम्मद शब्बर रशीदी की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि मामले की सच्चाई सामने लाने के लिए 17 लोगों के कॉल रिकॉर्ड की जांच की जाए।
अदालत ने पूछा कि दूसरी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में अत्याचार के निशान कैसे पाए गए, जबकि शुरू में मौत का कारण बिजली का पोल टूटना बताया गया था। अदालत का अवलोकन था कि इतनी बड़ी घटना एक मेले (मोहर्रम जुलूस) के बीच में हुई, लेकिन किसी प्रत्यक्षदर्शी का बयान सामने नहीं आया। न्यायाधीशों ने कहा कि गवाह निश्चित ही डरे हुए हैं। जांचकर्ताओं की जिम्मेदारी है कि उनका भय दूर किया जाए।
खंडपीठ ने दो अलग-अलग अस्पतालों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में अंतर पर भी नाराजगी जताई। न्यायमूर्ति बसाक ने टिप्पणी की, “यदि दो पोस्टमार्टम रिपोर्ट अलग-अलग हों तो इससे आम लोगों का पूरे सिस्टम पर से विश्वास उठ जाएगा।”
हाईकोर्ट ने सीआईडी को आदेश दिया कि सभी संदिग्ध मोबाइल नंबरों की कॉल रिकॉर्डिंग की गहन जांच की जाए। जिन 17 लोगों के कॉल रिकॉर्ड मांगे गए हैं, उनमें चिकित्सक, जांच अधिकारी और ओसी सहित अन्य लोग शामिल हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस स्तर पर इन सभी को जांच के दायरे में लाया जाए।
सीबीआई जांच की संभावना पर अदालत ने कहा कि इस पर विचार बाद में किया जाएगा, लेकिन फिलहाल सीआईडी को जांच तेज करने के निर्देश दिए गए हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर