दंतेवाड़ा जिले काे मिली रेल लाइन की सौगात के विरोध में ग्रामीणाें के साथ उतरे सीपीआई के पूर्व विधायक
दंतेवाड़ा, 3 सितंबर (हि.स.)। जिले में किरंदुल से कोत्तागुड़म तक आजादी के बाद पहली बार रेल लाइन की सौगात मिली है। आम तौर पर इस तरह की सौगात मिलने पर इलाके के लोग खुश नजर आते हैं, पर यहां उल्टा नजारा देखने को मिल रहा है। दरअसल, यहां रेल लाइन बिछने से पहल
सीपीआई के पूर्व विधायक मनीष कुंजाम


दंतेवाड़ा, 3 सितंबर (हि.स.)। जिले में किरंदुल से कोत्तागुड़म तक आजादी के बाद पहली बार रेल लाइन की सौगात मिली है। आम तौर पर इस तरह की सौगात मिलने पर इलाके के लोग खुश नजर आते हैं, पर यहां उल्टा नजारा देखने को मिल रहा है। दरअसल, यहां रेल लाइन बिछने से पहले होने वाले सर्वे का विरोध हो रहा है। प्रभावित गांवों के सरपंच बस्तरिया राज मोर्चा के संस्थापक एवं सीपीआई के पूर्व विधायक मनीष कुंजाम की अगुआई में बुधवार काे दंतेवाड़ा कलेक्टर से मुलाकात कर आजादी के बाद पहली बार रेल लाइन की मिली सौगात के विराेध में ज्ञापन सौंपा है।

ज्ञापन में कहा गया है कि यहां बिछने वाली रेल लाइन के सर्वे कार्य पर प्रभावित ग्राम पंचायतों की अनुमति नहीं ली जा रही है, जाे छतीसगढ़ पेशा कानून 2022 के नियम का उलंघन है। वन अधिकार मान्यता अधिनियम 2006 के अंतर्गत प्रभावितों के अधिकारों का भी मामलों का अभी तक निपटारा नहीं हुआ है। ज्ञापन देने के लिए किरंदुल, समलवार, गुनियापाल, बड़े कमेली जैसी लगभग एक दर्जन से अधिक ग्राम पंचायतों से ग्रामीण पहुंचे थे।

मनीष कुंजाम ने मीडिया से कहा कि सर्वे का कार्य बिना ग्राम सभा अनुमति के नहीं होना चाहिए। सरकार किरंदुल से लौह अयस्क परिवहन की चिंता में इतनी परेशान हैं कि ग्रामीणों की चिंता नहीं कर रही है। इसके साथ ही उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि आज तक किरंदुल विशाखापटनम रेल लाइन से ग्रामीणों को क्या फायदा मिला। वहीं जिला पंचायत सदस्य सोमारू कड़ती ने कहा कि फोर्स के दम पर रेललाइन बिछाई जा रही है। जिनको सुविधा देनी है, उन्हीं ग्रामीणों को पता नहीं है, कि यह लाइन किस-किस तरफ से गुजरेगी। इन लोगों ने मांग की है कि पहले ग्रामीणों को विश्वास में लिया जाए, फिर काम आगे बढ़ाया जाए।

गाैरतलब है कि केंद्र सरकार ने किरंदुल से कोत्तागुड़म 160 किलोमीटर रेललाइन की मंजूरी दी है, जिसमें से 138 किलोमीटर की रेललाइन छतीसगढ़ में बिछेगी, बाकी तेलंगाना में बननी है। यह रेल लाइन किरंदुल से बीजापुर और सुकमा जिले के अंदरूनी इलाकों से होते हुए कोट्टागुडेम तक बिछाने की योजना है। इससे पूर्व में दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा में एक मात्र रेललाइन किरंदुल से विशाखापटनम तक है। यहां के लोगों के लिए बस यही एक पैसेंजर ट्रेन की सुविधा है। इसके आलावा यहां मालवाहक ट्रेनें दौड़ रही हैं। ऐसे में अगर किरंदुल से कोत्तागुडेम रेललाइन जुड़ती है, तो बस्तर के ग्रामीणों को दूसरे राज्य में पहुंचने के लिए बड़ी सौगात होगी। इसके बावजूद इसके ग्रामीण विरोध कर रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि बस्तर में पहली रेल लाइन किरंदुल विशाखापटनम 1967 में शुरू हुई थी, तब बैलाडीला की खदानों से निकलने वाले लौह अयस्क की ढुलाई के साथ ही यात्रियों के लिए भी पैसेंजर ट्रेन चलाई गई, अब इतने दशकाें के बाद यह दूसरी लाइन की मंजूरी मिली है। अगर यह लाइन बिछती है, तो बस्तर वासियों को तेलंगाना और देशभर की रेल यात्राओं में बड़ी आसानी होगी। लेकिन बस्तरिया राज मोर्चा के संस्थापक एवं सीपीआई के पूर्व विधायक मनीष कुंजाम के द्वारा इसका विराेध किया जाना दुर्भाग्यजनक है। सीपीआई के पूर्व विधायक मनीष कुंजाम के द्वारा इस तरह से विराेध करना काेई नई बात नहीं है, वे बस्तर के तमाम बड़े प्रेजेक्ट का विराेध पहले भी करते रहे हैं। इनके विराेध के कारण ही बस्तर से टाटा स्टील के द्वारा लगाये जाने वाले ईस्पात संयंत्र काे कई साै कराेड़ के मुआवजा वितरण के बाद भी यहां से वापस जाना पड़ा था।

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हिन्दुस्थान समाचार / राकेश पांडे