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--लखनऊ में एफआईआर दर्ज कराकर परीक्षा के दौरान जेल भेज दिए गए थे कई अभ्यर्थी --प्रदेश के लगभग डेढ़ दर्जन जिलों के सैकड़ों अभ्यर्थियों ने दाखिल की थी याचिका
प्रयागराज, 03 सितम्बर (हि.स.)। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रदेश के लगभग डेढ़ दर्जन जिलों के दरोगा पद के सैकड़ों अभ्यर्थियों के पक्ष में फैसला देते हुए उनकी याचिकाओं को मंजूर कर लिया है। हाईकोर्ट ने सभी याचिकाओं को मंजूर कर सभी याची अभ्यर्थियों के अभ्यर्थन निरस्तीकरण आदेश को रद्द कर दिया है।
उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को परमादेश जारी कर निर्देशित किया है कि वे भर्ती की समस्त प्रक्रिया तीन माह के अन्दर पूरी करायें। कोर्ट ने कहा है कि यह आदेश उन अभ्यर्थियों पर भी लागू होगा जिन्होंने हाईकोर्ट में याचिका नहीं दाखिल की थी एवं जिनका मैटर याचिकाकर्ताओं के समान है। हाईकोर्ट के इस आदेश से राज्य सरकार को बड़ा झटका लगा है।
हाईकोर्ट में याचिका, मेरठ, बरेली, फिरोजाबाद, आगरा, गोरखपुर, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, कानपुर नगर, वाराणसी, मुजफ्फरनगर, झॉसी, मिर्जापुर, बस्ती, अलीगढ़, फतेहपुर एवं प्रयागराज जिलों के सैकड़ों दरोगा के पद के अभ्यर्थियों ने दाखिल की थी।
यह आदेश न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने याचीगणों के वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल तिवारी एवं वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम एवं अधिवक्ता अतिप्रिया गौतम को सुनकर पारित किया। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को मैंडेमस जारी करते हुये निर्देशित किया है कि भर्ती की समस्त प्रक्रिया तीन माह के अन्दर पूरी करायें। कोर्ट ने कहा कि यह आदेश उन अभ्यर्थियों पर भी लागू होगा जिन्होंने हाईकोर्ट में याचिका नहीं दाखिल की थी एवं जिनका मैटर याचिकाकर्ताओं के एक समान है। हाईकोर्ट के इस आदेश से राज्य सरकार को करारा झटका लगा।
याचीगणों ने ग्रुप वाइज अलग-अलग याचिकायें हाईकोर्ट में दाखिल की थी। उनका कहना था कि उन्हें शारीरिक मानक परीक्षा एवं शारीरिक दक्षता परीक्षा में पुनः बैठने की अनुमति प्रदान की जाय एवं तत्पश्चात उन्हें दरोगाओं के पद पर नियुक्ति प्रदान की जाय। कुछ याचिकाओं में अभ्यर्थी निरस्तीकरण के आदेश को चुनौती दी गयी थी।
मामले के अनुसार उप्र पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड लखनऊ द्वारा 9027 पुलिस उपनिरीक्षकों के पदों की भर्ती के लिये विज्ञापन 24 फरवरी 2021 को निकाला गया था। चयन प्रक्रिया में ऑनलाइन लिखित परीक्षा, अभिलेखों की संवीक्षा एवं शारीरिक मानक परीक्षा, शारीरिक दक्षता परीक्षा तथा चिकित्सा परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य था। सभी याचीगणों ने ऑनलाइन लिखित परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी एवं सभी के ऑनलाइन लिखित परीक्षा में कट ऑफ मेरिट से ज्यादा नंबर मिले थे।
इस चयन प्रकिया में अभिलेखों की संवीक्षा एवं शारीरिक मानक परीक्षा तथा शारीरिक दक्षता परीक्षा के समय सैकड़ों दरोगा के पद पर चयनित अभ्यर्थियों को भर्ती केन्द्र से ही एफआईआर 07 मई 2022 को अन्तर्गत धारा 420, 120बी0 आईपीसी व 9/10 उप्र सार्वजनिक परीक्षा अधिनियम 1998 व 66 डी आईटी एक्ट, थाना महानगर जनपद लखनऊ में दर्ज कराने के बाद गैर कानूनी तरीके से जेल भेज दिया गया था। दरोगा पद के अभ्यर्थियों को शारीरिक मानक परीक्षा एवं शारीरिक दक्षता परीक्षा में भाग नहीं लेने दिया गया। कई अभ्यर्थी भर्ती केन्द्र से ही जेल जाने के डर से बगैर शारीरिक मानक परीक्षा एवं शारीरिक दक्षता परीक्षा दिये ही अपने-अपने घर वापस चले गये।
याचियों की तरफ से पेश हुये वरिष्ठ अधिवक्ताओं का कहना था कि उक्त दरोगा पद की भर्ती प्रक्रिया राज्य सरकार द्वारा सभी नियम एवं कानून को ताक पर रख की गयी है एवं दरोगा पद के अभ्यर्थियों को नियम एवं कानून के विरूद्ध शारीरिक मानक परीक्षा एवं शारीरिक दक्षता परीक्षा के परीक्षा केन्द्र से ही जेल भेज दिया गया। तथा याचियों के ऊपर जो आरोप लगाये गये है, उसके सम्बन्ध में कोई भी जांच सम्पादित नहीं करायी गयी। याचियों को कोई सुनवाई का अवसर नहीं प्रदान किया गया तथा नियम एवं कानून के विरूद्ध उनको शारीरिक मानक परीक्षा एवं शारीरिक दक्षता परीक्षा में सम्मिलित नही होने दिया गया था।
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हिन्दुस्थान समाचार / रामानंद पांडे