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कोंडागांव, 3 सितंबर (हि.स.)। जिले के आलोर गांव में पहाड़ों के बीच स्थित माता लिंगेश्वरी मंदिर अपनी अनोखी परंपरा और गहरी आस्था के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर के कपाट सालभर बंद रहते हैं और केवल भाद्रपद नवमी के बाद आने वाले पहले बुधवार को एक दिन के लिए ही खुलते हैं। इसी वजह से इसे लोग ‘एक दिन का मंदिर’ भी कहते हैं। आज बुधवार काे सूर्योदय से पहले मंदिर के द्वार खोले गए और सूर्यास्त से पहले ही बंद कर दिए गए। अब अगले एक वर्ष बाद ही श्रद्धालुओं को यहां दर्शन का अवसर मिलेगा। मंदिर में दर्शन के लिए दूर-दराज से आए भक्त एक दिन पूर्व से ही लाइन में लग गए थे, कई किलोमीटर लंबी कतारों में श्रद्धालु अपने साथ भोजन और आवश्यक सामग्री लेकर पहुंचे। श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए मंदिर परिसर और आस-पास के क्षेत्र में पुलिस बल की तैनाती की गई थी। कभी यह इलाका नक्सल प्रभावित रहा है, जिसके चलते पहले लोग यहां आने से कतराते थे, लेकिन अब माहौल बदल चुका है और बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंच रहे हैं।
माता लिंगेश्वरी मंदिर में आस्था का अद्भुत नजारा देखने को मिला, देशभर से श्रद्धालु यहां केवल संतान प्राप्ति की कामना लेकर पहुंचे। यह मंदिर खास इसलिए है क्योंकि इसके पट साल में सिर्फ एक दिन के लिए ही खुलते हैं। मान्यता है कि माता लिंगेश्वरी के दरबार में माथा टेकने और यहां प्रसाद स्वरूप दिए जाने वाले खीरे का सेवन करने से संतान प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होती है। परंपरा के अनुसार दंपत्ति को खीरा प्रसाद के रूप में दिया जाता है, पति और पत्नी इसे नाखून से दो बराबर हिस्सों में बांटकर ग्रहण करते हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / राकेश पांडे