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नैनीताल, 2 सितंबर (हि.स.)। उच्च न्यायालय ने उत्तरकाशी में भागीरथी इको सेंसिटिव जोन में नदी क्षेत्र से दाे साै मीटर की दूरी तक कोई निर्माण कार्य न किए जाने के नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देशों का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए हैं।
मुख्य न्यायाधीश जी नरेंदर व न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस सुनवाई में
उत्तरकाशी के जिलाधिकारी और सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता वर्चुअली सुनवाई में शामिल हुए। कोर्ट ने जिलाधिकारी और सिंचाई विभाग के अधिकारी से पूछा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल व सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का कितना अनुपालन हुआ है। कोर्ट ने चार सप्ताह में संबंधित रिपोर्ट कोर्ट में देने के निर्देश देते हुए सुनवाई के लिए चार सप्ताह बाद की तिथि नियत की है।
दरअसल, हिमालयन नागरिक दृष्टि मंच के नागेंद्र जगूड़ी ने कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर भागीरथी ईको सेंसिटिव जोन में बने रिजॉर्ट आदि बंद करवाने की मांग की है। उन्हाेंने आरोप लगाए कि जोन में एनजीटी व सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के विपरीत जाकर प्रशासन ने व्यावसायिक गतिविधियों की अनुमति दी है। हालांकि एनजीटी के निर्देशानुसार नदी से 200 मीटर की दूरी तक निर्माण कार्य प्रतिबंधित हैं। इसके चलते यहां अनेक रिसोर्ट, होटल तथा भवन बन गए हैं। याचिका में कहा गया कि धराली की तरह नदी का रुख बदलने पर यहां भी आपदा आ सकती है। याचिका में यह भी कहा गया कि धराली जैसी घटना से बचने के लिए भागीरथी नदी के आसपास से अतिक्रमण को भी हटाया जाए।
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हिन्दुस्थान समाचार / लता