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जयपुर, 02 सितंबर (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने विधानसभा क्षेत्र की भाग संख्या की वोटर लिस्ट में नाम नहीं होने के बाद भी शिक्षकों को बीएलओ के पद पर नियुक्त करने के मामले में निर्वाचन आयोग की गाइडलाइन की पालना करने के लिए कहा है। वहीं अदालत ने प्रार्थियों को कहा है कि वे इस संबंध में निर्वाचन रजिस्ट्रीकरण अधिकारी को दो सप्ताह में प्रतिवेदन दें। इस प्रतिवेदन पर अधिकारी निर्वाचन विभाग की गाइडलाइन के अनुसार चार सप्ताह में निर्णय करें। अदालत ने स्पष्ट किया कि बीएलओ उसी शिक्षक को नियुक्त किया जाएगा जो उस विधानसभा क्षेत्र की भाग संख्या का वोटर हो। जस्टिस मनीष शर्मा ने यह आदेश राजेंद्र व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने बताया कि याचिकाकर्ता करौली जिले के हिंडौन व करौली विधानसभा क्षेत्र के स्कूलों में तृतीय श्रेणी शिक्षक व अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। इस दौरान निर्वाचन विभाग ने शिक्षकों को बीएलओ के पद पर नियुक्ति से मुक्त रखने की गाइडलाइन पर ध्यान दिए बिना ही उन्हें बीएलओ नियुक्त कर दिया। इसे हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि भारतीय निर्वाचन आयोग व राज्य निर्वाचन आयोग के हाल के निर्देशानुसार बूथ की वोटर लिस्ट में वोटर के तौर पर नामित कार्मिक को बीएलओ के पद पर नियुक्त किया जा सकता है। वहीं उस विधानसभा की वोटर लिस्ट में शामिल नहीं हुए शिक्षक को बीएलओ पद पर नियुक्ति से छूट दी है, लेकिन फिर भी प्रार्थियों को अन्य विधानसभा क्षेत्र में बीएलओ नियुक्त कर दिया। हाईकोर्ट ने भी पूर्व में तेनसिंह के मामले में इस संबंध में दिशा-निर्देश दिए थे। इसलिए प्रार्थियों को अन्य विधानसभा क्षेत्र में बीएलओ के पद पर नियुक्त नहीं किया जाए।
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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक