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जयपुर, 9 अगस्त (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने शहर के दो थानों सहित कोटपूतली-बहरोड व डीग जिले के थाना इलाकों से लापता हुई नाबालिगों की बरामदगी नहीं होने पर सख्ती दिखाई है। अदालत ने इन जिलों के डीसीपी और पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए हैं कि वे संबंधित थाने में रोजाना एक घंटा बैठकर मामले में चल रही जांच की मॉनिटरिंग करेंगे। जस्टिस इन्द्रजीत सिंह और जस्टिस भुवन गोयल की खंडपीठ ने यह आदेश चार अलग-अलग बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए। अदालत ने कहा कि मामले में पुलिस आयुक्त से लेकर पुलिस महानिदेशक तक को तलब किया जा चुका है, लेकिन अभी तक लापताओं की बरामदगी नहीं हुई है। डीजीपी ने गत 7 अप्रैल को अदालत में पेश होकर लापताओं की बरामदगी के गंभीर प्रयास करने का आश्वासन दिया था। मामले में नामजद आरोपी होने के भी पुलिस न तो आरोपी और ना ही लापता की तलाश कर पाई है। अदालत ने जयपुर नॉर्थ के डीसीपी को रामगंज थाने, डीसीपी पश्चिम को मुरलीपुरा थाने, कोटपूतली-बहरोड़ के एसपी को हरसोरा थाने और डीग एसपी को संबंधित थाने में रोजाना एक घंटा ड्यूटी देने को कहा है।
कोटपूतली-बहरोड़ जिले के हरसोरा थाना क्षेत्र से 29 मार्च 2022 को 15 साल की नाबालिग लडक़ी गायब हुई थी। जो आज तक बरामद नहीं हुई है। उसके परिजनों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। वहीं जयपुर के रामगंज थाने से लापता 16 साल की नाबालिग 6 फरवरी 2024 से लापता है। इसके अलावा मुरलीपुरा थाने से लापता 14 साल की नाबालिग लापता चल रही है।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने मामले में पूर्व डीजीपी को तलब कर पुलिस के हाईटेक तरीके से कार्य नहीं नाराजगी जताई थी। अदालत ने डीजीपी को कहा था कि पुलिस मोबाइल की लोकेशन के आधार पर जांच करती है। यदि किसी मामले में आरोपी या पीडिता के सैकड़ों किलोमीटर दूर होने की जानकारी मिलती है तो संबंधित थाने से पुलिस टीम वहां भेजी जाती है और कई दिनों बाद जब टीम वहां पहुंचती है तो आरोपी वहां से जा चुका होता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक