विश्व आदिवासी दिवस पर सांस्कृतिक कार्यक्रम और सम्मान समारोह का आयोजन
पश्चिम सिंहभूम, 9 अगस्त (हि.स.)। विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर चाईबासा के सिंहभूम स्पोर्ट्स एसोसिएशन फुटबॉल ग्राउंड में शनिवार को विश्व आदिवासी दिवस आयोजन समिति की ओर से भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम और सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इसमें भारी संख्या
विश्व आदिवासी दिवस पर चाईबासा में सांस्कृतिक कार्यक्रम व सम्मान समारोह का आयोजन*


विश्व आदिवासी दिवस पर चाईबासा में सांस्कृतिक कार्यक्रम व सम्मान समारोह का आयोजन*


पश्चिम सिंहभूम, 9 अगस्त (हि.स.)। विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर चाईबासा के सिंहभूम स्पोर्ट्स एसोसिएशन फुटबॉल ग्राउंड में शनिवार को विश्व आदिवासी दिवस आयोजन समिति की ओर से भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम और सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इसमें भारी संख्या में लोगों की उपस्थिति देखी गई।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा, पूर्व सांसद गीता कोड़ा, खरसावां के विधायक दशरथ गागराई, सदर अनुमंडल पदाधिकारी संदीप अनुराग, जगन्नाथपुर के एसडीओ छोटन उरांव, सदर डीएसपी बहामन टूटी सहित कई प्रशासनिक पदाधिकारी उपस्थित हुए।

कार्यक्रम की शुरुआत आदिवासी रीति-रिवाजों के साथ की गई, जिसके बाद विभिन्न समुदायों जैसे हो, संथाली, उरांव, मुंडा, बिरहोर, लोहार आदि के कलाकारों ने पारंपरिक नृत्य और गीत प्रस्तुत कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

इस दौरान झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) परीक्षा में सफलता प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को आदिवासी समाज की ओर से सम्मानित किया गया। उनके इस उपलब्धि पर आयोजन समिति और अतिथियों ने प्रसन्नता व्यक्त की।

पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने अपने संबोधन में कहा कि हम सभी के लिए यह गर्व का विषय है कि हम विश्व आदिवासी दिवस मना रहे हैं। लेकिन यह खुशी तब और बढ़ेगी जब हमारे आदिवासी भाई-बहनों का समग्र विकास हो।

पूर्व सांसद गीता कोड़ा ने कहा कि आज भी आदिवासी समाज में शिक्षा की कमी एक बड़ी चुनौती है। हमें जागरूक होना होगा, शिक्षित बनना होगा और अपने अधिकारों के लिए सतर्क रहना होगा।

खरसावां विधायक दशरथ गागराई ने दिशोम गुरु शिबू सोरेन के हालिया निधन को समाज के लिए बड़ी क्षति बताया और सभी आदिवासियों को विश्व आदिवासी दिवस की शुभकामनाएं दीं।

कार्यक्रम स्थल पर जनसैलाब उमड़ पड़ा था। बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोग पारंपरिक पोशाक में कार्यक्रम में शामिल हुए और अपनी सांस्कृतिक धरोहर का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम के आयोजन में सामाजिक समरसता, संस्कृति संरक्षण और युवा पीढ़ी को प्रेरित करने का उद्देश्य प्रमुख रूप से देखने को मिला।

विश्व आदिवासी दिवस का यह आयोजन समाज की एकजुटता, सांस्कृतिक पहचान और अधिकारों के प्रति सजगता का प्रतीक बनकर सामने आया।

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हिन्दुस्थान समाचार / गोविंद पाठक