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आगरा, 09 अगस्त (हि.स.)।
गाजियाबाद के पूर्व नगर आयुक्त अब्दुल समद के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप सामने आए हैं। विजिलेंस आगरा सेक्टर थाने में उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। अब्दुल समद सपा नेता आजम खां के बेहद करीबी माने जाते थे और उनकी छवि सपा सरकार में एक प्रभावशाली अधिकारी की रही है। वे लखनऊ के रायबरेली रोड स्थित वृंदावन योजना सेक्टर-11 में रहते हैं और वर्तमान में सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
भ्रष्टाचार की कई शिकायतो के मिलने के बाद वर्ष 2022 में उत्तर प्रदेश सरकार ने विजिलेंस विभाग को अब्दुल समद के खिलाफ खुली जांच के आदेश दिए थे। विजिलेंस इंस्पेक्टर रविंद्र कुमार दुबे द्वारा की गई विस्तृत जांच में पाया गया कि गाजियाबाद नगर आयुक्त के पद पर रहते हुए अब्दुल समद ने अपनी वैध आय की तुलना में 113 प्रतिशत अधिक खर्च किया। जांच रिपोर्ट के अनुसार, अब्दुल समद ने अपनी आय के सभी स्रोतों से मात्र 2.62 करोड़ रुपये अर्जित किए, लेकिन उसी अवधि में उन्होंने 5.59 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों का अधिग्रहण और पारिवारिक खर्च किए। इस प्रकार उनकी आय से लगभग 2.97 करोड़ रुपये अधिक खर्च पाया गया। जो कुल इनकम का 113 प्रतिशत है।
विभिन्न स्थानों पर नाजायज संपत्तियों की जानकारी मिलने पर
जब उनसे आय से अधिक संपत्ति की असमानता के बारे में दस्तावेज मांगे गए, तो वह कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। इससे यह संदेह और गहरा हो गया कि उन्होंने यह अतिरिक्त धनराशि अवैध साधनों से अर्जित की हो सकती है।
सूत्रों के अनुसार, विजिलेंस को जांच के दौरान यह भी जानकारी मिली कि अब्दुल समद के पास आजमगढ़, जौनपुर और लखनऊ जैसे शहरों में संपत्तियां हैं। हालांकि, इन संपत्तियों का उल्लेख फिलहाल दर्ज मुकदमे में नहीं किया गया है। लेकिन विवेचना में इन पहलुओं को भी ध्यान में रखकर आगे की कार्यवाही की जायगी।
गाजियाबाद पोस्टिंग के दौरान उनके कई फैसलों का खुलकर विरोध हुआ। डस्टबिन, कंप्यूटर और स्ट्रीट लाइट जैसे उपकरणों की खरीद में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं के आरोप लगे। उनके फैसलों को मनमाना और पारदर्शिता से दूर बताया गया।
अब्दुल समद पहले भी विवादों में रहे हैं। मार्च 2023 में उत्तर प्रदेश विधानसभा में विशेषाधिकार हनन के मामले में उन्हें पांच पुलिसकर्मियों के साथ रात 12 बजे तक कैद की सजा दी गई थी। यह मामला वर्ष 2004 का था, जब वह कानपुर में सीओ (पीपीएस) पद पर तैनात थे। विधायक सलिल बिश्नोई से दुर्व्यवहार के चलते यह मामला उठाया गया था। हालांकि, उन्होंने बाद में सदन में माफी मांग ली थी। बाद में अब्दुल समद पीसीएस में चयनित हुए और फिर आईएएस पद तक पहुंचे।
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हिन्दुस्थान समाचार / Vivek Upadhyay