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पूर्वी सिंहभूम, 9 अगस्त (हि.स.)।बिष्टुपुर स्थित गोपाल मैदान (रीगल मैदान) में शनिवार को आदिवासी छात्र एकता के तत्वावधान में विश्व आदिवासी दिवस पर भव्य जनसभा आयोजित हुई।
वर्ष 2007 से संगठन इस दिवस को आदिवासी अस्मिता, संस्कृति और अधिकारों के संरक्षण के संकल्प के साथ मना रहा है। इस वर्ष कार्यक्रम का मुख्य नारा संयुक्त राष्ट्र संघ की घोषणा स्वदेशी समुदायों के आत्मनिर्णय के अधिकार रहा।
कार्यक्रम की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र संघ के सरना झंडा के झंडोतोलन और दिशोम गुरु शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि अर्पित करने से हुई। स्वागत भाषण के बाद उनके जीवन और योगदान पर विस्तार से चर्चा हुई।
कार्यक्रम में वक्ताओं ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के झारखंड में प्रभाव, भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के अनुपालन, सरना कोड की मान्यता, गैर-अनुसूचित आदिवासी क्षेत्रों को पांचवीं अनुसूची में शामिल करने, पेशा कानून लागू करने, सीएनटी -एसपीटी एक्ट और विल्किंसन रूल के पालन, भूमि बैंक समाप्त करने, निजी क्षेत्रों में 75 प्रतिशत स्थानीय नियोजन और हो, मुण्डारी, भूमिज एवं कुड़ुख भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की।
मुख्य वक्ता डॉ अभय सागर मिंज, समाजशास्त्री और जोसाई माडी (टिएसी सदस्य एवं संस्थापक सह मुख्य संरक्षक) थे। अन्य वक्ताओं में इन्द्र हेम्ब्रम (संयोजक), हेमेन्द्र हांसदा (अध्यक्ष), दुर्गाचरण हेम्ब्रम, नवीन मुर्मू, राज बॉकिरा, नन्दलाल सरदार, हरिमोहन टुडु और स्वपन सरदार शामिल थे।
कार्यक्रम में संयोजक इन्द्र हेम्ब्रम ने उपस्थित आम लोगों का आभार व्यक्त करते हुए आदिवासी आवाज और झंडे को ऊंचा रखने और इस प्रकार के कार्यक्रम भविष्य में भी जारी रखने का संकल्प दोहराया।
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हिन्दुस्थान समाचार / गोविंद पाठक