बांग्लादेशी कहकर हिरासत में लिए गए भारतीय मजदूरों के मामले में हाईकोर्ट ने दो हफ्ते में मांगा जवाब
पश्चिम बंगाल के 12 मजदूरों को अवैध रूप से गिरफ्तार कर जेल भेजा गया, बाद में भारतीय नागरिकता की पुष्टि पर रिहा किया गया
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट


बिलासपुर, 7 अगस्त (हि.स.) l छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां भारत देश के पश्चिम बंगाल राज्य के 12 निर्माण मजदूरों को स्थानीय पुलिस ने बांग्लादेशी नागरिक समझकर हिरासत में ले लिया और जेल भेज दिया। बाद में उनकी भारतीय नागरिकता की पुष्टि होने पर उन्हें रिहा कर दिया गया। अब इस मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने आज गुरुवार कओ राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। महबूब शेख सहित 12 मजदूरों की ओर से रिट याचिका क्रिमिनल दायर की गई है, इस याचिका में छत्तीसगढ़ पुलिस की कार्रवाई को गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन बताया गया है। याचिका में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएस) की धारा 128 के तहत की गई गिरफ्तारी को रद्द करने, प्रत्येक मजदूर को एक लाख रुपये मुआवजा देने और उन्हें राज्य में सुरक्षित रूप से काम करने की गारंटी देने की मांग की गई है।

उल्लेखनीय है कि 29 जून 2025 को पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर और मुर्शिदाबाद जिलों से 12 मजदूर कोंडागांव जिले में एक सरकारी स्कूल भवन के निर्माण के लिए ठेकेदार के माध्यम से पहुंचे थे। 12 जुलाई को अचानक पुलिस पहुंची और निर्माण स्थल से साइट सुपरवाइजर सहित सभी मजदूरों को एक गाड़ी में भरकर अपने साथ ले गई। मजदूरों का आरोप है कि उन्हें पहले साइबर सेल ले जाया गया, जहां उनके साथ मारपीट, गाली-गलौज और दुर्व्यवहार किया गया।

हालांकि उन्होंने मौके पर ही अपने आधार कार्ड दिखाए, लेकिन इसके बावजूद उन्हें बांग्लादेशी घुसपैठिया कहकर अपमानित किया गया। शाम 6 बजे उन्हें कोंडागांव कोतवाली लाया गया और फिर रात के समय उन्हें जगदलपुर सेंट्रल जेल भेज दिया गया। घटना के बाद मजदूरों के परिजनों ने 13 जुलाई को तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा से संपर्क किया। सांसद मोइत्रा ने इस कार्रवाई की कड़ी निंदा की और छत्तीसगढ़ पुलिस पर मजदूरों को गैरकानूनी तरीके से पकड़ने और प्रताड़ित करने का आरोप लगाया।उनके हस्तक्षेप के बाद मजदूरों की जांच हुई, जिसमें उनकी भारतीय नागरिकता की पुष्टि हो गई और उन्हें रिहा कर दिया गया अब मामला छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट पहुंच गया है, जहां मजदूरों की ओर से याचिका दायर की गई है। कोर्ट ने इस मामले को गंभीर मानते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है और दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / Upendra Tripathi