राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर मंजूरपहरी में विशेष जन संचार कार्यक्रम का आयोजन
बिलासपुर, 7 अगस्‍त (हि.स.)। केंद्रीय संचार ब्यूरो, क्षेत्रीय कार्यालय बिलासपुर छत्‍तीसगढ़ द्वारा राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के अवसर पर गुरुवार को विकासखंड बिल्हा के आदिवासी वन ग्राम मंजूरपहरी में ग्राम पंचायत के सहयोग से विशेष जन संचार कार्यक्रम का आयोजन
मंजूरपहरी में विशेष जन संचार कार्यक्रम का आयोजन क‍िया गया


बिलासपुर, 7 अगस्‍त (हि.स.)। केंद्रीय संचार ब्यूरो, क्षेत्रीय कार्यालय बिलासपुर छत्‍तीसगढ़ द्वारा राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के अवसर पर गुरुवार को विकासखंड बिल्हा के आदिवासी वन ग्राम मंजूरपहरी में ग्राम पंचायत के सहयोग से विशेष जन संचार कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर ग्राम सरपंच मिलन सिंह मरावी, पूर्व सरपंच रमौतीन नेताम, हथकरघा कार्य से जुड़े परिवारों तथा बड़ी संख्या में ग्रामवासी उपस्थित रहे।

कार्यक्रम में केंद्रीय संचार ब्यूरो, बिलासपुर के प्रभारी केवी गिरी ने अपने संदेश में कहा कि, हथकरघा क्षेत्र भारत की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। यह ग्रामीण एवं अर्ध-ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका का एक सशक्त माध्यम है तथा महिला सशक्तिकरण से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ है, जहां 70 प्रतिशत से अधिक बुनकर और संबंधित श्रमिक महिलाएं हैं। हथकरघा उत्पादन प्रकृति-सम्मत, पर्यावरण अनुकूल एवं न्यूनतम पूंजी व ऊर्जा की आवश्यकता वाला क्षेत्र है। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान समय में फैशन उद्योग की बदलती मांगों को देखते हुए हथकरघा क्षेत्र में नवाचार की व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं।

गिरी ने जानकारी दी कि, भारत सरकार ने जुलाई 2015 में 7 अगस्त को 'राष्ट्रीय हथकरघा दिवस' के रूप में घोषित किया था। इसका उद्देश्य हथकरघा उद्योग के सामाजिक-आर्थिक महत्व के प्रति जन-जागरूकता फैलाना है। पहला राष्ट्रीय हथकरघा दिवस 7 अगस्त 2015 को चेन्नई में देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटित किया गया था।

ग्राम सरपंच मिलन सिंह मरावी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ग्रामवासियों से आह्वान किया कि, वे अधिक संख्या में हथकरघा कार्य से जुड़ें, शासकीय योजनाओं का लाभ लें और हथकरघा उत्पादों को अपनाएं।

कार्यक्रम के दौरान उपस्थित ग्रामीणों के बीच विषय आधारित ईनामी प्रश्नमंच प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया, जिसमें विजेताओं को विभाग द्वारा प्रोत्साहन पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य जनभागीदारी के माध्यम से पारंपरिक कारीगरी को प्रोत्साहित करना तथा ग्रामीणों को स्वरोजगार से जोड़ना था।

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हिन्दुस्थान समाचार / गायत्री प्रसाद धीवर