चीन के सस्ते और घटिया उत्पादों की भारतीय बाजार में घुसपैठ से बढ़ा भारतीय व्यापार घाटा: अनुपमा सिंह
मंडी में पत्रकारों से बात करते हुए स्वदेशी जागरण मंच के पदाधिाकरी।


मंडी, 5 अगस्त (हि.स.)। स्वदेशी जागरण मंच हिमाचल प्रदेश की स्वदेशी शोध प्रमुख प्रो. अनुपमा सिंह ने कहा कि मंच द्वारा बड़ी संख्या में व्यापारियों और विनिर्माण कंपनियों के संघों और सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर 12 जून 2025 को स्वदेशी सुरक्षा एवं स्वावलंबन अभियान की शुरुआत की गई है। मंगलवार काे मंडी में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि इससे स्वदेशी आंदोलन को फिर से गति दी गई है, जिसका उद्देश्य देश के कोने-कोने में भारत को पुनः महान बनाने जिसे प्रधानमंत्री मीगा यानि मेक इंडिया ग्रेट अगेन कहते हैं के लिए जागरूकता पैदा करना है।

उन्होंने कहा कि भारत का स्वतंत्रता संग्राम में स्वदेशी आंदोलन केवल ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से राजनीतिक स्वतंत्रता प्राप्त करने का आंदोलन नहीं था, बल्कि आर्थिक सम्मान, सांस्कृतिक पहचान और सभ्यतागत संप्रभुता का दावा भी था। स्वतंत्रता संग्राम के शुरुआती दौर में शुरू हुआ स्वदेशी आंदोलन, वास्तव में विदेशी वस्तुओं को अस्वीकार करने, घरेलू उत्पादन को बहाल करने और भारत के आत्मनिर्भर आर्थिक पारिस्थितिकी तंत्र के पुनर्निर्माण का एक आह्वान था।

अनुपमा सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वदेशी के आह्वान करते हुए कहा कि न्यूनतम उपयोग और चीन, तुर्की व अन्य विरोधी देशों की वस्तुओं और सेवाओं का बहिष्कार करना, कुछ अपवादों को छोड़, विदेशी विश्वविद्यालयों में अध्ययन का मोह त्यागना, स्थानीय उत्पादों का उपयोग और कारीगरों को बढ़ावा देना, न केवल मूल्यवान विदेशी मुद्रा बचाने में सहायक हो सकता है, बल्कि विकास के विकेंद्रीकृत मॉडल के आधार पर स्थानीय स्तर पर रोज़गार, आजीविका और लोगों के कल्याण कोभीबढ़ावा दे सकता है।

उन्होंने कहा कि चीन लंबे समय से भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा है, लेकिन यह रिश्ता लगातार एकतरफा और खतरनाक होता जा रहा है। चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा लगातार और वर्तमान में 99.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है, सस्ते और अक्सर घटिया सामान भारतीय बाजारों में प्रवेश कर रहे हैं, जो हमारे एमएसएमई को नुकसान पहुंचा रहे हैं, नौकरियों को नष्ट कर रहे हैं और घरेलू विनिर्माण क्षमता को कमजोर कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि स्वदेशी जागरण मंच में हम समझते हैं कि भारत को दुनिया के साथ जुड़ना चाहिए। लेकिन हम उस अविवेकी वैश्वीकरण को अस्वीकार करते हैं जो भारत को दूसरों के उत्पादों का बाज़ार बना देता है और हमारी अपनी उत्पादन क्षमता को नष्ट कर देता है। स्वदेशी का दर्शन अलगाववादी नहीं है। यह सुनिश्चित करने के बारे में है कि भारत की आर्थिक नीतियां, व्यापारिक निर्णय और उपभोक्ता व्यवहार राष्ट्र के दीर्घकालिक हितों के अनुरूप हों।

हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा