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रायपुर, 5 अगस्त (हि.स.)। तहसीलदार और नायब तहसीलदारों की हड़ताल का असर छत्तीसगढ़ में व्यापक रूप से देखने को मिल रहा है। अपनी 17 सूत्रीय मांगों को लेकर यह अधिकारी बीते आठ दिनों से हड़ताल पर हैं। इस हड़ताल ने आम लोगों के कामकाज को पूरी तरह प्रभावित कर दिया है, वहीं 20 हजार से ज्यादा फाइलें विभिन्न तहसीलों में लंबित पड़ी हैं। तहसीलदार संघ का कहना है कि संसाधनों की कमी, तकनीकी सुविधाएं, और सुरक्षा के अभावजैसी समस्याओं को लेकर वे मजबूरी में हड़ताल कर रहे हैं।
इस हड़ताल की सबसे बड़ी मार छात्रों और किसानों पर पड़ी है। स्कूल और कॉलेज के छात्र आय, जाति और निवास प्रमाण पत्र के लिए तहसीलों के चक्कर काट रहे हैं लेकिन काम ठप है। वहीं, किसानों के भूमि सीमांकन, फौती नामांतरण और बंटवारा जैसे जरूरी कार्य नहीं हो पा रहे हैं। इससे रजिस्ट्री करवा चुके किसानों को प्रमाणीकरण में देरी हो रही है।
राज्य की सभी तहसीलों और राजस्व न्यायालयों में कामकाज ठप होने से दस्तावेज लेखक, स्टांप वेंडर और अर्जीनवीस भी खाली बैठे हैं। सरकारी कामकाज ठप होने से इनकी आमदनी भी रुक गई है। खासकर रजिस्ट्री कार्य, सीमांकन आदेश और खाता विभाजन से जुड़े कार्य पूरी तरह बंद पड़े हैं।
राज्य भर में 20 हजार से अधिक राजस्व से जुड़ी फाइलें लंबित हो चुकी हैं। जिन मामलों पर फैसला होना था, वे हड़ताल के कारण अटक गए हैं। लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है क्योंकि उन्हें जरूरी दस्तावेज और सेवाएं नहीं मिल रही हैं।
राज्य सरकार और तहसीलदार संघ के बीच गतिरोध बना हुआ है। अभी तक मांगों पर कोई ठोस सहमति नहीं बन पाई है। हड़ताल के कारण राजस्व का कामकाज बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। आम जनता सरकार से मांग कर रही है कि इस मसले का जल्द समाधान निकाला जाए ताकि उनका काम सुचारु रूप से शुरू हो सके।
हिन्दुस्थान समाचार / गायत्री प्रसाद धीवर