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हुगली, 5 अगस्त (हि.स.)।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मंगलवार को हुगली के बाढ़ प्रभावित इलाकों का निरीक्षण करने के दौरान कामारपुकुर स्थित रामकृष्ण मठ और मिशन पहुंचीं। उन्होंने वहां एक अतिथि निवास और पार्किंग स्थल का उद्घाटन किया और दस करोड़ रुपये का अनुदान घोषित किया। वहीं रामकृष्ण परमहंस के जन्मस्थल पर खड़े होकर उन्होंने उनकी वाणी को याद किया।
ममता ने कहा, “हिंदू धर्म को समझने के लिए कहीं और जाने की जरूरत नहीं है। यहीं कामारपुकुर में श्री रामकृष्ण, श्री मां सारदा देवी, स्वामी विवेकानंद का कर्मक्षेत्र है। यहां आकर इसे महसूस किया जा सकता है। उन्होंने सर्वधर्म समन्वय का संदेश दिया।” उन्होंने गर्व से कहा, “ध्यान रखिए, वे जिस भाषा में बात करते थे, वह बंगाली भाषा ही थी।”
रामकृष्ण, सारदा और विवेकानंद के संदेशों का स्मरण करते हुए ममता ने कहा, “स्वामी विवेकानंद ने कहा था, ‘एकता हमारी ताकत है, और विभाजन पतन का कारण।’ हम विभाजन में विश्वास नहीं करते। हम साथ में रहते हैं और लड़ते हैं।” उन्होंने बताया कि मानव चरित्र के निर्माण में उनके और विवेकानंद के उपदेश अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। साथ ही, मां सारदा ने सहनशीलता और क्षमाशीलता सिखाई है। ममता ने ‘कथामृत’ और ‘तरुणेर स्वप्न’ जैसी पुस्तकों का भी ज़िक्र किया।
साथ ही, उन्होंने देशभर में बंगाली भाषा और बंगालियों के खिलाफ हो रही ‘हिंसा’ के विरोध को जोरदार समर्थन दिया और याद दिलाया कि उन महान विभूतियों की वाणी जिस भाषा में बनी, उस भाषा के अपमान को बंगाल सहन नहीं करेगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / धनंजय पाण्डेय